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Muzaffarpur News: नए अवतार में दिखेगा 250 साल पुराना साहू पोखर, लगेगा फव्वारा, शुरू होगी बोटिंग

Muzaffarpur News: अगले महीने से पर्यटक मुजफ्फरपुर के साहू तालाब में नौका विहार कर सकेंगे. पटना महावीर मंदिर ट्रस्ट मंदिर और तालाब का सौंदर्यीकरण कर रहा है. तालाब के बीच में फव्वारा लगाया जाएगा और मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाएगा.

Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर में अगले महीने से लोग साहू पोखर में नौकायन का आनंद ले सकेंगे. इसके लिए चार सीटों वाला तीन नावों की खरीद हो रही है. यहां आने वाले पर्यटक साहू पोखर मंदिर में पूजा के बाद नौकायन करेंगे. मंदिर और पोखर को जिले के पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. पटना के महावीर मंदिर न्यास के सौजन्य से मंदिर का जीर्णोद्धार कर सौंदर्यीकरण कराया गया है.

महावीर मंदिर के नैवेद्यम का खुला काउंटर

मंदिर के बगल में एक बड़ा धर्मशाला और हॉल निर्माण का कार्य भी अंतिम चरण में है. मंदिर में प्रवेश के लिए चार द्वार बनाए गए हैं और यहां 32 सीसीटीवी कैमरा भी लगाया गया है. पिछले दिनों यहां महावीर मंदिर के नैवेद्यम का काउंटर भी खुला है. यहां पटना महावीर मंदिर के नैवेद्यम की सप्लाई की जा रही है. मंदिर के अगल-बगल के घरों को भी मंदिर के फेस कलर की तरह रंगाई की गयी है. साहू पोखर के तीन तरफ से पौधारोपण किया जा रहा है. साथ ही यहां रंग-बिरंगी लाइट और साहू पोखर के बीच में फव्वारा भी लगाया जा रहा है. साहू पोखर के तट पर बैठने के लिए बेंच भी लगाया जाना है.

अक्टूबर तक लग जाएगा फव्वारा

साहू पोखर प्रबंध समिति के सचिव संजय कुमार ने कहा कि सौंदर्यीकरण का काम पूरा हो चुका है. फव्वारा भी अक्टूबर तक लग जाएगा. सीसीटीवी कैमरा लगने से मंदिर के आसपास असामाजिक तत्वों का आना-जाना भी रुक गया है. यहां नौकायन की व्यवस्था की गयी है, जिसमें लाइफ जैकेट भी रखा गया है. यहां आने वाले पर्यटक सुरक्षित तरीके से नौका का आनंद ले पाएंगे.

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250 साल पुराना है साहू पोखर मंदिर

साहू पोखर का इतिहास ढाई सौ साल पुराना है. इसका निर्माण साहू परिवार ने कराया था. इतिहास के अनुसार इस पोखर की खुदाई सन 1754 में जमींदार भवानी प्रसाद साहू के पुत्र शिवसहाय प्रसाद साहू ने करवायी थी और यहां श्री राम जानकी मंदिर का निर्माण भी कराया था. पोखर और मंदिर के इतिहास का वर्णन विदेशी विद्वान डॉ. स्पूनर की यात्रा वृतांत में भी मिलता है. डॉ. स्पूनर यहां वर्ष 1917 में आए थे. उन्होंने वृज्जी वैशाली जनपद का भ्रमण किया था. इस दौरान स्थापत्य कला की दृष्टि से साहू पोखर स्थित मंदिर को भी देखा-समझा था.

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