सरकारी जमीन कब्जाने वालों पर विभाग की कड़ी नजर
जिले में बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन को कर रखा है कब्जाक्या? भूमि सर्वे के बाद रमजान नदी हो पायेगा अतिक्रमण मुक्त
किशनगंज.लंबे समय के बाद बिहार में हो रहे भूमि सर्वेक्षण से वैसे भू माफियाओं की परेशानी बढ़ी हुई है जो सरकारी जमीन यानी नदी,नालों तक के भूमि को बेचने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा.अब ऐसे लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है.सरकारी भूमि के संबंध में भूमि सुधार विभाग द्वारा इस बार काफी पुख्ता नियम कानून बनाए गए हैं. सर्वेक्षण में सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा करने, मकान या अन्य संरचना करने वाले व्यक्ति या संस्था के नाम से खाता नहीं खोला जाएगा और खतियान में बिहार सरकार का नाम दर्ज कर दिया जाएगा.इतना ही नहीं, सरकारी जमीन पर गलत तरीके से रसीद काटने या जमाबंदी की कार्रवाई भी मान्य नहीं होगी.जाहिर है कि इस बार के सर्वेक्षण से हर तरह के सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे की पहचान आसानी से हो जाएगी. जिले के विभिन्न अंचलों में पिछले कुछ वर्षों से बड़े पैमाने पर सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे का खेल चल रहा है और सबसे ज्यादा गड़बड़ी शहर तथा शहर के लाइफ लाइन रमजान नदी की भूमि से जुड़ा हुआ है.साथ ही कई ऐसे जमीन के प्लॉट हैं जिसकी जानकारी विभाग को भी नहीं है.बड़े पैमाने पर मकान और अन्य संरचना का निर्माण भी कर लिया गया है और कई मामलों में भ्रष्ट तरीके से लगान रसीद भी काट दिया गया है, लेकिन इस बार के सर्वेक्षण में सरकारी जमीन पर कब्जे की सच्चाई सामने आ जाएगी.
विभाग ने सरकारी जमीन को बचाने के लिए कर रखी है पूरी तैयारी
बिहार सरकार की जमीन गैर मजरूआ खास या अनाबाद सर्वसाधारण, तालाब, आहर, पइन या परती जमीन पर किसी व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से कब्जा कर लिया गया हो, मकान या किसी तरह की संरचना का निर्माण किया गया हो.वैसे सरकारी जमीन पर उस व्यक्ति के नाम से खाता नहीं खुलेगा, बल्कि बिहार सरकार के नाम से खाता खुलेगा और खतियान के अभियुक्ति कालम में अतिक्रमण लिख दिया जाएगा.न्यायालय में मामला होने पर लिखा जाएगा विवादित गैर मजरूआ खास भूमि पर किसी जमींदार द्वारा एक जनवरी 1946 के पूर्व हुकमनामा का रसीद रैयत के नाम से दिया गया है.सरकारी लगान रसीद जमींदारी उन्मूलन के वर्ष से कट रही है, तब कागजात उपलब्ध कराने के बाद रैयत के नाम खाता खोला जाएगा.यदि ऐसा नहीं है, तो रैयत के नाम खाता नहीं खुलेगा और जमीन सरकारी खाते में चली जाएगी.
कोर्ट का आदेश ही होगा सर्वमान्य
किसी गैर मजरूआ खास भूमि पर 1970 के खतियान में किसी व्यक्ति का नाम दर्ज है और दखल कब्ज में है,तो उसके नाम पर खाता खुलेगा. इस तरह के जमीन पर सिविल कोर्ट द्वारा दिया गया आदेश मान्य होगा. सरकारी या रैयती जमीन पर न्यायालय में मामला लंबित होने पर अभियुक्ति कालम में विवादित लिखा जाएगा.बाद में न्यायालय के निर्णय का पालन किया जाएगा.
सरकारी भूमि पर मान्य नहीं होगी अवैध जमाबंदी
यदि किसी गैर मजरूआ आम भूमि पर किसी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी द्वारा अवैध तरीके से लगान रसीद काट दिया गया है या अवैध जमाबंदी खोल दिया गया है, तो सर्वेक्षण में उसकी मान्यता नहीं दी जाएगी और खाता उस व्यक्ति या संस्था के नाम पर नहीं खुलेगा.इसके लिए विभाग के अधिकारी अंचल कार्यालय से प्राप्त जरूरी कागजातों का अवलोकन भी करेंगे.सक्षम न्यायालय के आदेश पर की गई जमाबंदी मान्य होगी.
अंचल अभिलेख के जमाबंदी में की गई गड़बड़ी सरकारी जमीन पर जमाबंदी खोलने या रसीद काटने में अंचल कार्यालय में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई. इस तरह के मामले में अधिकारियों द्वारा वर्षों पूर्व दिए गए दाखिल खारिज के आदेश, जमाबंदी आदेश,त्रुटि सुधार या लगान रसीद आदि के कुछ कागजात उपलब्ध ही नहीं है. ऐसी स्थिति में सर्वेक्षण के दौरान कई तरह की समस्याएं भी उत्पन्न होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है