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सूर्यपुरा पुल के पास बंदरों का आतंक

सूर्यपुरा पुल के समीप बंदरों का आतंक से जहां एक तरफ आम लोग परेशान हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग की टीम के पास कोई संसाधन नहीं है.

रामगढ़. सूर्यपुरा पुल के समीप बंदरों का आतंक से जहां एक तरफ आम लोग परेशान हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग की टीम के पास कोई संसाधन नहीं है. ऐसे में दर्जनों की संख्या में बंदरों का कुनबा मुख्य सड़क से गुजर रहे किस राहगीर व बाइक सवार लोगों पर कब हमला करके सामान छीनने में उन्हें घायल कर दे, कहना मुश्किल है. हालांकि, वन्य को छोड़ कर मैदानी भाग में आये वन्य जीवों के घायल होने पर उपचार करने व क्षेत्र के वन्य जीवों के लिए रामगढ़ प्रखंड के जनदहा गांव के बधार में काफी दूर में शरणस्थली बनाये गये, बावजूद क्षेत्र में घूमने वाले वन्य जीवों को उक्त स्थल पर पहुंचाने में कोई इजाफा नहीं हुआ. दरअसल, जंगल को छोड़ कर मैदानी भाग में भटक कर आये इन बेजुबान बंदरों की पीड़ा भी कुछ कम नहीं दिखती. जंगलों में कंदमूल खाकर आजादी से अपना जीवन व्यतीत करने वाले यह बंदर अपने छोटे बच्चों के साथ सड़क किनारे हरे घास को खाकर अपनी भूख मिटा रहे हैं. भूख की पीड़ा से तड़प रहे वन्य जीवों की बगल से गुजर रहे राहगीरों से खाने के सामान की अपेक्षा करना कहीं से गलत नहीं दिख रहे. जंगल से भटक कर मैदानी भाग में आये बंदरों पर जिला मुख्यालय जाने वाले साहबों की नजरें इन पर जाती है, पर अक्सर हाकिमों के वाहन सड़क पर विचरण कर रहे बंदरों के दस्ते से सड़क का किनारा लेते हुए अपने गंतव्य स्थान पर निकलते देखे जाते हैं. बेजुबान बंदरों की पीड़ा ना तो पदाधिकारी सुनने को तैयार हैं, ना ही जनप्रतिनिधि. रोहिया से एक दर्जन बंदरों काे किया था रेस्क्यू वन्य जीवों के रेस्क्यू आकड़ों पर नजर डालें, तो चार वर्ष पूर्व 2020 के अक्तूबर माह में गांव से लेकर बाजार तक बंदरों के आतंक से निजात दिलाने को लेकर जिला मुख्यालय के वन विभाग की छह सदस्यीय टीम वनपाल संतोष कुमार वन्य प्राणी ट्रैकर उमेश कुमार, विजय मल राम, राकेश कुमार, जवाहिर दिन व वाहन चालक बाबूलाल राम ने रोहिणा गांव पहुंच गांव के आसपास 12 बंदर को पकड़ कर पिजड़े में डाल भभुआ वन विभाग ले जाने का काम किया था, तब कुछ दिनों तक इनके आतंक से लोगों को निजात मिल गयी थी. किंतु, एक बार फिर यह दर्जनों की संख्या में मुख्य सड़क व नुआंव बाजार में देखे जा रहे हैं. हालांकि, इन बेजुबान वन्य प्राणियों की देखभाल व रखने के लिए रामगढ़ प्रखंड के जनदहा गांव के बधार में वन्य जीव शरण स्थली भी बनायी गयी है, जिसमें कर्मी भी कार्यरत हैं, बावजूद इनपर किसी की नजर नहीं जाती. # बंदरों के आतंक से लोगों ने चुनाव बहिष्कार का किया था एलान वर्ष 2020 के लोकसभा चुनाव के दौरान रामगढ़ प्रखंड की देवहलिया पंचायत अंतर्गत बिशनपुरा गांव के ग्रामीणों ने वर्षों से बंदरों के आतंक से परेशान होकर समस्या से निजात दिलाने को लेकर लोकसभा चुनाव बहिष्कार करने का ऐलान किया था. ग्रामीणों की जिद थी कि वर्षों से पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने के बाद भी गांव में आतंक मचा रहे बंदरों से निजात नहीं दिलाया गया. उक्त समस्या को लेकर ग्रामीण चुनाव के बहिष्कार करने का मन बनाया था. किंतु चुनाव के कुछ दिन पूर्व प्रखंड विकास पदाधिकारी, जिले व अनुमंडल के पदाधिकारियों की टीम उक्त गांव में पहुंच कुछ दिनों के भीतर बंदरों से निजात दिलाने का वादा कर लोकसभा चुनाव में ग्रामीणों से मतदान करवाने का काम किया था. # कहते हैं रेंजर इस संबंध में मोहनिया अनुमंडल के रेंजर राजू मिश्रा ने कहा वन विभाग द्वारा बंदरों को रेस्क्यू करने के लिए हमें कोई संसाधन नही दिये गये हैं. बंदरों को रेस्क्यू करने के लिए ग्रामीणों को भी आगे आना होगा, वैसे टीम को उक्त स्थल पर भेजा जा रहा है.

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