– स्वास्थ्य विभाग ने दिये कई निर्देश, पूछा-कैसी है इलाज की तैयारी – जिले में इस समय बारिश कम हो रही है. जलजमाव की समस्या कम है. एक बार फिर से बारिश का सिलसिला शुरू होता है तो शहर में जगह-जगह मच्छरों के पनपने की आशंका कई गुना बढ़ जायेगी. वहीं डेंगू व मलेरिया से पीड़ित मरीज मिलने लगेंगे. इसको ध्यान में रखकर मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भागलपुर में मच्छर जनित बीमारी डेंगू व मलेरिया के इलाज के लिए तैयार रहने को कहा गया है. खासकर मायागंज व सदर अस्पताल समेत दूसरे सरकारी अस्पतालों को अलर्ट मोड पर रहने को कहा गया. बीते वर्ष मध्य अक्तूबर से लेकर मध्य नवंबर तक डेंगू का प्रसार सर्वाधिक था. मामले की जानकारी देते हुए मायागंज अस्पताल अधीक्षक डॉ राकेश कुमार ने बताया कि मुख्यालय को बताया गया कि जिले में डेंगू मरीजों के मिलने का सिलसिला अब तक शुरू नहीं हुआ है. अब तक दूसरे राज्य से संक्रमित होकर आया एक डेंगू मरीज बीते माह मिला था. वहीं अस्पताल में जांच किट, दवा, ब्लड प्लाज्मा, डेंगू वार्ड में पर्याप्त बेड रहने की सूचना दी गयी. इसके अलावा मंकी पॉक्स के मरीज मिलने के बाद इलाज की पर्याप्त व्यवस्था करने को कहा गया है. हालांकि अब तक देश में सिर्फ एक मरीज केरल में मिला है. वह दूसरे देश से घूमकर आया था. लार्वा नाशक छिड़काव व फॉगिंग की जिम्मेदारी निगम की : जिला वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल पदाधिकारी डॉ दीनानाथ ने बताया कि डेंगू से निपटने में आमलोगों का सहयोग जरूरी है. घर की छतों पर खुले में रखे सामान, कूलर, गार्डन, नालियां, आसपास के मैदानों में छोटे-छोटे गड्ढों में पानी भरने के बाद इनमें डेंगू के लार्वा पनपने की आशंका है. लोग इसकी रोकथाम के लिए सजग रहें. शहर में स्वास्थ्य विभाग की ओर से लार्वा की खोज को लेकर सर्व किया गया है. इनमें से सिकंदरपुर व जवारीपुर में मच्छर का लार्वा मिला. वहीं बीते वर्ष मायागंज, हवाइ अड्डा से सटे मुहल्ले, सुरखीकल समेत अन्य लार्वा वाले जोन ढूंढे गये थे. इन चिह्नित जगहों पर लार्वा नाशक दवा का छिड़काव व फॉगिंग कराने की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की है. ग्रामीण क्षेत्र में यह काम स्वास्थ्य विभाग करायेगा. एनएस-वन वेरिएंट डेंगू से खतरा कम : बीते वर्ष एनएस-वन वेरिएंट डेंगू का प्रसार हुआ था. शहर के मायागंज व सदर अस्पताल में 1200 से अधिक डेंगू मरीजों का इलाज हुआ था. वहीं कई मरीजों का इलाज निजी अस्पताल में हुआ था. इस वेरिएंट का एंटीबॉडी पीड़ित लोगों के शरीर में बना होगा. ऐसे में इस बार एनएस-वन वेरिएंट डेंगू के प्रसार की आशंका कम है. अगर दूसरे वेरिएंट का डेंगू फैलता है तो परेशानी बढ़ेगी. विभाग के पास दवा व जांच किट पर्यााप्त मात्रा में हैं. लोगों से अपील है कि मच्छरदानी का प्रयोग करें.
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