Odisha News: ओडिशा के वन मंत्री गणेश राम सिंहखुंटिया ने मंगलवार को विधानसभा को बताया कि बीते 10 साल में राज्य में सात बाघों और 48 तेंदुओं की मौत हो गयी. मंत्री ने बताया कि इन बाघों की मौत वित्तीय वर्ष 2014-2015 से 2023-24 के बीच हुई. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक टंकधर त्रिपाठी के सवाल के लिखित जवाब में मंत्री ने बताया कि बीते 10 साल में 48 तेंदुओं और सात बाघों की मौत हुई है और इन मौतों का कारण शिकार व दुर्घटनाओं के साथ-साथ प्राकृतिक भी हैं. इस दौरान दो रॉयल बंगाल टाइगर (बाघ) की शिकार के कारण मौत हुई, जबकि तीन डूबने, पहाड़ों से फिसलने और आपसी लड़ाई जैसी विभिन्न घटनाओं में मारे गये. एक बाघ की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई. उन्होंने बताया कि एक बाघ की मौत का कारण अज्ञात है.
21 तेंदुआ की मौत अवैध शिकार के कारण हुई
मंत्री ने अपने बयान में कहा कि पिछले 10 वित्तीय वर्षों के दौरान 21 तेंदुओं की मौत अवैध शिकार के कारण, चार की करंट लगने से, दो की रेल दुर्घटनाओं में, तीन की सड़क दुर्घटनाओं में, पांच की बीमारी के कारण और चार की प्राकृतिक वजह से मौत हुई. पिछले दशक में राज्य सरकार द्वारा मध्यप्रदेश से दो रॉयल बंगाल टाइगर (एक नर और एक मादा) ओडिशा लाया गया है. उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान किसी भी बाघ को राज्य के बाहर किसी अन्य जंगल में स्थानांतरित नहीं किया गया है. सदन को दिए एक अन्य लिखित बयान में वन मंत्री ने कहा कि 2013-14 से 2023-24 के दौरान ओडिशा में 760 हाथियों की मौत की सूचना मिली, जिनमें से 41 हाथियों को शिकारियों ने मार डाला. उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों के दौरान हाथियों के हमलों में 1,145 लोग मारे गये.वर्ष 2000 से 2023 तक 482 परियोजनाओं के लिए 26.75 लाख पेड़ काटे : मंत्री
ओडिशा सरकार ने खनन, सड़क, सिंचाई और रेलवे सहित विभिन्न क्षेत्रों में 482 परियोजनाओं के निष्पादन के लिए वर्ष 2000 से 2023 तक 26.75 लाख से अधिक पेड़ काटे हैं. राज्य के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री गणेश राम सिंहखुंटिया ने मंगलवार को विधानसभा में यह जानकारी दी. मंत्री ने कहा कि वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के अनुसार, राज्य सरकार ने वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अनुमोदित 482 परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए 42,190 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग किया और वर्ष 2000 से 2023 की अवधि के दौरान 25,75,191 पेड़ों को काट दिया. मंत्री के लिखित बयान के अनुसार, इस अवधि में 225 खनन परियोजनाओं के लिए सबसे अधिक 9.64 लाख पेड़ काटे गये, जबकि 43 सड़क परियोजनाओं के निर्माण के लिए 5.99 लाख पेड़ और 45 सिंचाई परियोजनाओं के लिए 4.89 लाख पेड़ काटे गये. उन्होंने बताया कि इसी प्रकार, 18 औद्योगिक परियोजनाओं की शुरुआत के लिए तीन लाख पेड़ तथा 58 विद्युत अवसंरचना परियोजनाओं के लिए 1.39 लाख पेड़ काटे गये. इसके अलावा, 29 रेलवे लाइनें और 64 अन्य परियोजनाएं क्रमशः 82,076 और 99,741 पेड़ों को काटकर बनायी गयीं. उन्होंने कहा कि भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआइ)-1999 की रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा में 47,033 वर्ग किलोमीटर का वन क्षेत्र था, जो एफएसआई-2021 की रिपोर्ट में बढ़कर 52,156 वर्ग किलोमीटर हो गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है