संवाददाता, कोलकाता
कलकत्ता हाइकोर्ट ने वकीलों के लिए विभिन्न सुरक्षात्मक उपायों जैसे एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के क्रियान्वयन की मांग करनेवाली जनहित याचिका खारिज कर दी है, जो वकीलों को बिना किसी भय या हिंसा या उत्पीड़न के अपने पेशेवर कर्तव्यों का पालन करने की उनकी क्षमता सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा प्रदान करेगा.
याचिकाकर्ता ने दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए समर्पित निगरानी समिति या टास्क फोर्स स्थापित करने के लिए सुरक्षा की भी मांग की. साथ ही सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तुरंत कार्यात्मक सीसीटीवी कैमरे लगाने और अधिकारियों को वकीलों की धमकियों, उत्पीड़न या धमकी से संबंधित शिकायतों के त्वरित रजिस्ट्रेशन और जांच के लिए समर्पित सेल या सिस्टम स्थापित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया.
यदि याचिकाकर्ता किसी कानून के क्रियान्वयन की मांग करता है, जिसे उक्त कानून के तहत दिये गये तरीके से किया जाना चाहिए. याचिका में याचिकाकर्ता अप्रत्यक्ष रूप से कुछ दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए निर्देश मांगता है, तो यह अदालत कानून नहीं बना सकती और अदालत केवल कानून की व्याख्या कर सकती है. ” यह पश्चिम बंगाल राज्य पर निर्भर है कि वह कानून के साथ आगे आये या कोई केंद्रीय कानून अपनाये या अन्य राज्यों द्वारा बनाये गये कानून को पारित करे, जैसे कि राजस्थान राज्य ने राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 पेश किया.
इस प्रकार, अदालत ने याचिकाकर्ताओं को राज्य सरकार से संपर्क करने की स्वतंत्रता देते हुए याचिका खारिज की और पश्चिम बंगाल बार काउंसिल को इस मुद्दे पर राज्य सरकार को अपने विचार प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
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