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Jitiya Vrat: जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत क्यों किया जाता है? इस व्रत का क्या महत्व है?

Jitiya Vrat: जितिया व्रत एक महत्वपूर्ण उपवास है जो संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए माताओं द्वारा रखा जाता है. इस लेख में जानिए जितिया व्रत की सही पूजा विधि, व्रत के नियम और इसके धार्मिक महत्व के बारे में

Jitiya Vrat: जितिया व्रत खासकर उत्तर भारत में महिलाओं द्वारा अपनी संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है. यह व्रत बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में बेहद लोकप्रिय है, पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की अष्टमी तिथि का आरंभ 24 सितंबर 2024 को दोपहर 12:38 बजे हो रहा है और इसका समापन 25 सितंबर 2024 को दोपहर 12:10 बजे होगा. उदया तिथि के आधार पर, जितिया व्रत 25 सितंबर, बुधवार को रखा जाएगा. इस व्रत का पालन करना हर मां के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. जितिया व्रत में जो सबसे खास बात होती है, वो है माताओं का समर्पण और आस्था. लेकिन कई बार लोग इसके सही तरीके को लेकर उलझन में रहते हैं. तो चलिए, आज हम आपको बताएंगे कि इस व्रत को कैसे सही तरीके से किया जाए, ताकि इसका पूर्ण फल प्राप्त हो सके.

जितिया व्रत का महत्व

सबसे पहले, हमें समझना जरूरी है कि जितिया व्रत का महत्व क्या है. इस व्रत को खासतौर पर संतान की लंबी उम्र और उनके सुखी जीवन के लिए किया जाता है. यह व्रत तीन दिन तक चलता है जिसमें मां बिना अन्न और जल के उपवास रखती है. यह न केवल शरीर को तपाने का एक तरीका है, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने का भी एक माध्यम है. जितिया व्रत के दौरान मां की आस्था और श्रद्धा अपने बच्चों की सुरक्षा और खुशहाली के लिए होती है.

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व्रत से एक दिन पहले का भोजन (नहाय-खाय)

व्रत शुरू करने से एक दिन पहले महिलाएं “नहाय-खाय” की रस्म निभाती हैं. इस दिन, महिलाएं स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करती हैं और पवित्र मन से भोजन करती हैं. नहाय-खाय के दिन खासतौर पर कद्दू, चावल और चने की दाल का सेवन किया जाता है. ये भोजन सरल और शुद्ध होते हैं, और व्रत की शुरुआत से पहले शरीर को आवश्यक ऊर्जा देते हैं.

उपवास का दिन

जितिया व्रत के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं. इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यह होता है कि महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न और जल के उपवास करती हैं. जितिया व्रत में एक बड़ी खास बात ये होती है कि इसे पूरी निष्ठा और नियमों के साथ निभाना होता है. पूरे दिन महिलाएं भगवान जितेश्वर की पूजा करती हैं और अपने बच्चों की लंबी उम्र और उनकी भलाई की कामना करती हैं.

जल और अन्न का त्याग

इस व्रत में बिना जल और अन्न के उपवास किया जाता है. लेकिन अगर आपकी सेहत इस बात की इजाजत नहीं देती, तो आप अपने स्वास्थ्य के अनुसार नियमों में थोड़ी छूट ले सकती हैं. स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है.

पूजा विधि

जितिया व्रत में भगवान जितेश्वर और मां गंगा की पूजा की जाती है. आप भगवान की मूर्ति या तस्वीर को साफ जगह पर स्थापित करें और पूजा की सारी सामग्री पहले से तैयार रखें.

व्रत कथा सुनना

जितिया व्रत के दिन जितेश्वर भगवान की कथा सुनने का विशेष महत्व है. यह कथा भगवान के जीवन से जुड़ी होती है और इसे सुनने से व्रत करने वाली महिलाओं को आंतरिक शांति और संतोष मिलता है.

पारण, व्रत खोलने का तरीका

जितिया व्रत के बाद अगले दिन पारण किया जाता है. पारण का मतलब होता है व्रत खोलना. व्रत खोलने के लिए सूर्योदय के बाद महिलाएं स्नान कर साफ कपड़े पहनती हैं और भगवान जितेश्वर की अंतिम पूजा करती हैं. इसके बाद फल, मिठाई या हल्के भोजन से व्रत तोड़ा जाता है. कहीं-कहीं मान्यता यह भी है कि मड़वा का आटा जिसे जिसे रागी का आता भी कहते हैं इसकी रोटी या हवा इसे बना कोई भी चीज का सेवन करना ज्यादा अच्छा माना जाता है. यह ध्यान रखना चाहिए कि पारण के समय भोजन बहुत भारी न हो और इसे धीरे-धीरे किया जाए.

अगर आप पहली बार जितिया व्रत कर रही हैं, तो यह ध्यान रखें कि यह व्रत कठिन जरूर है, लेकिन इसमें धैर्य और आस्था बनाए रखना जरूरी है. यह व्रत केवल शारीरिक तपस्या नहीं है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी आपको इसे पूरी श्रद्धा से करना है. इस दौरान भगवान जितेश्वर की कहानियां सुनना या पढ़ना भी एक शुभ कार्य माना जाता है.

जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत क्यों किया जाता है?

जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत संतान की लंबी आयु और स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जाता है. यह व्रत विशेष रूप से माताएं अपने पुत्रों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए रखती हैं.

जितिया व्रत का महत्व क्या है?

जितिया व्रत का महत्व संतान के जीवन की रक्षा और उनके स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में है. यह व्रत माताओं द्वारा संतान के सुखद भविष्य और लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है.

2024 में जितिया व्रत कब किया जाएगा?

2024 में जितिया व्रत 25 सितंबर, बुधवार को किया जाएगा. आश्विन माह की अष्टमी तिथि 24 सितंबर को शुरू होकर 25 सितंबर को समाप्त होगी, इसलिए उदया तिथि के अनुसार व्रत 25 सितंबर को रखा जाएगा

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