Bhagalpur News: बिहार के भागलपुर से सात साल पहले दुर्गा पूजा मेला घूमने के लिए निकली बेटी खो गयी थी. एक साल तक उसकी खोजबीन करने के बाद भी उसका कुछ पता नहीं चला तो बच्ची की मां सहित भाई-बहनों ने भी आस छोड़ दी थी. लेकिन भगवान का लिखा कौन टाल सकता है. भागलपुर पुलिस को अपना दूत बनाकर भेजने वाले भगवान ने सात साल पहले अपनी मां और भाई-बहनों से बिछड़ी बच्ची को मिलवा दिया. यह मामला सुल्तानगंज का है. अपनी बेटी को सात साल बाद सकुशल वापस पाकर मां भी गदगद हो उठी और भागलपुर पुलिस को धन्यवाद किया है.
दुर्गा पूजा का मेले में खोयी बच्ची
लापता हुई किशोरी अंशु कुमारी की मां सुल्तानगंज थाना क्षेत्र के गंगापुर के बैकुंठपुर स्थित वार्ड संख्या 25 निवासी पिंकी देवी उर्फ सविता देवी ने बताया कि सात साल पहले 2017 में उनकी सात साल की बेटी सुल्तानगंज में दुर्गा पूजा का मेला देखने निकली थी. मेला देखने निकलने के बाद उनकी पुत्री अंशु वापस नहीं आयी. काफी परेशान होकर उन लोगों ने सभी रिश्तेदारों, परिचितों, पड़ोसियों और ग्रामीणों के बीच अपनी बेटी की खोजबीन का काफी प्रयास किया. पर वह नहीं मिली.
अब बच्ची की उम्र 14 साल हो गयी
एक साल तक बेटी को ढूंढने का प्रयास करने के बाद भी जब बेटी नहीं मिली तो उन्होंने आस छोड़ दी. फिर अचानक विगत सोमवार को सुल्तनगंज थाना की पुलिस ने उनके पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति के फोन पर कॉल किया और एक बच्ची के मिलने की बात कही और पहचान के लिए उसे लेकर गांव आने की बात कही. इसके बाद मंगलवार को जब पुलिस उनकी बेटी को साथ लेकर उनके घर आयी तो उन्होंने अपनी बेटी की पहचान की. उन्होंने जब बेटी लापता हुई थी तब वह महज सात साल की नन्ही बच्ची थी. और अब वह 14 साल की हो चुकी है.
बंधक बनायी गयी थी, घर से भागी…
बरामदगी के बाद अपने घर पहुंची अंशु कुमारी ने बताया कि सात साल पहले सुल्तानगंज में दुर्गा पूजा मेला देखने के दौरान वह भटक गयी थी और एक कोने में बैठ कर रो रही थी. इसी दौरान एक व्यक्ति और एक महिला ने उसे रोता हुआ देखा और उसे घरवालों से मिलवाने की बात कह कर अपने साथ लेकर चले गये. घर ले जाने के बाद उक्त घरवालों ने उन्हें घर में ही कैद कर दिया. कई दिनों तक रोने के बाद भी जब उन लोगों ने उसे परिवार वालों के पास नहीं पहुंचाया तब वह भी थक हारकर उक्त दंपती की बात मान ली.
पुलिस ने उसकी मदद की.
इसके बाद दंपती ने उन्हें घर में कैद कर सात सालों तक रखा और घर का सारा काम बर्तन धोना, साफ-सफाई करना, कपड़ा धुलवाना आदि कराने लगे. अगर उससे कोई गलती हो जाती थी कि वे लोग उसे खाना भी नहीं देते थे. सात सालों तक उन लोगों ने उसे घर में ही कैद रखा बाहर तक निकलने नहीं दिया. जब भी परिवार के लोग कहीं जाते थे तो वे लोग घर के बाहर ताला लगाकर निकल जाते थे. इसके बाद मौका देख कर वह विगत सोमवार को घर से किसी तरह मौका देख कर भाग गयी और सुल्तानगंज स्टेशन से ट्रेन पकड़ कर भागलपुर आ गयी. जहां उसे रोता देख पुलिस ने उसकी मदद की.
लापता होने से छह माह पहले ही हुई थी पिता की मौत
अंशु की मां पिंकी देवी ने बताया कि उनके पति रंजीत मंडल की आकस्मिक मृत्यु बेटी के लापता होने से छह माह पूर्व हुई थी. इसके बाद वह मुंगेर जिला के बरियारपुर थाना क्षेत्र के नौवागढ़ी स्थित बजरंगबली नगर से वह अपने बच्चों को लेकर सुल्तानगंज के बैकुंठपुर आ गयी थी और वहीं गुजर बसर कर रही थी.
पिंकी देवी ने बताया कि उनके चार बच्चे है. जिसमें सबसे बड़ा गांधी कुमार नामक बेटा है. उसके बाद अंशु कुमारी थी. इसके बाद उसे एक बेटी और एक बेटा है. पर अंशु के लापता होने के बाद वह अपने तीन बच्चों का ही किसी तरह पालन पोषण कर रही थी. बच्ची के लापता होने के बाद उन्होंने उस वक्त पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं करायी थी.
थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर ने क्या बताया
जोगसर थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर कृष्ण नंदन कुमार सिंह ने बताया कि सोमवार को उनके क्षेत्र की डायल 112 की टीम ने एक बच्ची को रोता हुआ पाया था, जिसके बाद उसे लेकर थाना आ गयी थी. घंटों तक बच्ची से पूछताछ करने के बाद भी बच्ची अपने घर का अता-पता कुछ भी बता पाने में सक्षम नहीं थी. काफी बहलाने फुसलाने के बाद बच्ची ने बताया कि सात साल पहले वह मेला देखने के दौरान सुल्तानगंज में भटक गयी थी.
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सुल्तानगंज थाना में इस तरह का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला
इसके बाद उन्होंने सुल्तानगंज थाना से संपर्क किया और सात साल पहले लापता हुई अंशु नामक बच्ची का रिकॉर्ड खंगालने को कहा. पर सुल्तानगंज थाना में इस तरह का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला. इसके बाद उनकी टीम बच्ची को लेकर सुल्तानगंज पहुंची. जहां पहुंचते ही बच्ची को अपने घर का रास्ता याद आने लगा. जिसके आधार पर पुलिस उसके परिजनों तक पहुंचने में कामयाब रही.