चिरकुंडा (धनबाद): भाकपा माले के केंद्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी इंडी गठबंधन के तहत झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती है. 24-25 सितंबर को गिरिडीह में होनेवाली प्रदेश कमेटी की बैठक में तय किया जायेगा कि पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि भाजपा के मंसूबे ध्वस्त करने के लिए एक सार्थक तालमेल की जरूरत है. वे बुधवार को मैथन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. केंद्रीय महासचिव ने कहा कि मासस का माले में विलय होने के बाद उत्तरी छोटानागपुर क्षेत्र में माले संगठनात्मक रूप से मजबूत हुई है और इससे इंडिया गठबंधन की संभावना बढ़ी है. धनबाद जिले में निरसा, सिंदरी व गिरिडीह जिले में बगोदर, राजधनवार और जमुआ में हमारी मजबूत दावेदारी है. वैसे पार्टी पूरे झारखंड में भाजपा को हराने के लिए एक-एक वोट का सदुपयोग करेगी. भाकपा माले इंडिया गठबंधन का घटक है और इस गठबंधन की ताकत लोकसभा में भी नजर आ रही है, जहां मोदी सरकार कई बिल लाने में हिचक रही है.
बिहार की तरह झारखंड में भी चलेगा ‘हक दो, वादा निभाओ’ आंदोलन
दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी बिहार में ‘हक दो, वादा निभाओ’ आंदोलन चला रही है और यही आंदोलन झारखंड में भी चलाया जायेगा. यहां भी केंद्र सरकार से हिसाब लिया जायेगा. कहा कि गैर भाजपा शासित राज्यों में राजभवन समानांतर सत्ता का केंद्र बना हुआ है. उन्होंने अपनी पार्टी की तरफ से हरियाणा, जम्मू कश्मीर, झारखंड व महाराष्ट्र के मतदाताओं से अपील की कि वे भाजपा के खिलाफ निर्णायक जनादेश देने का काम करे. मासस का भाकपा माले में विलय को वामपंथी आंदोलन के लिए ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि जहां भाजपा जोड़-तोड़ व खरीद-फरोख्त की राजनीति कर रही है, इस परिस्थिति में यह विलय पूरे देश के लिए अच्छी शुरुआत है.
डॉक्टर रेप-हत्या मामले में बंगाल के लोगों के साथ खड़ी है पार्टी
दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर के साथ रेप व हत्या मामले में बंगाल के लोगों की संपूर्ण इंसाफ की मांग के साथ भाकपा माले खड़ी है. सीबीआई जांच में भी कोई प्रगति नहीं दिख रही है. भाजपा शासित राज्यों में बलात्कारियों को राजनीतिक संरक्षण दिया जाता है. राम-रहीम जैसे सजायाफ्ता लोगों को बार बार पेरोल पर छोड़ा जा रहा है. कहा कि वक्फ बोर्ड की जमीन पर कॉरपोरेट घरानों की नजर है, इसलिए वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लाया गया. इसे भाकपा माले खारिज करती है. इसके खिलाफ अपनी राय जेपीसी को भेजें.