कोलकाता.
कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने निचली अदालतों में संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति पर फिर सवाल उठाया है. मुख्य न्यायाधीश ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि निचली अदालतों में लाखों मामले लंबित हैं. मुख्य न्यायाधीश ने राज्य की निचली अदालतों के इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि निचली अदालतों में कोई नयी नियुक्ति नहीं हुई है. यहां केवल पदोन्नति हो रही है और संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की जा रही है. पिछले साल उत्तर 24 परगना ने अनुबंध कर्मचारियों को भुगतान करने के लिए 48 लाख रुपये खर्च किये गये थे. अदालत के काम की गोपनीयता बनाये रखना मुश्किल है. यदि संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है, तो इसमें जवाबदेही की कमी दिखायी देती है.मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की : निचली अदालतों में न्यायाधीशों के आदेश लिखने वालों (स्टेनो) को संविदा कर्मचारी के रूप में क्यों नियुक्त किया जाना चाहिए? निचली अदालत में चल रहे एक मामले के शीघ्र निबटारे का अनुरोध करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक मामला दायर किया गया था. उस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ में थी. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने कहा कि निचली अदालतों के जज को लेकर कोई निर्देश नहीं देंगे. लेकिन साथ ही उन्होंने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे अपनी दलीलें जज तक पहुंचायें, ताकि उनके मामलों का जल्द निबटारा हो सके.
संविदा कर्मियों की नियुक्ति पर पहले भी सवाल उठा चुका है कोर्ट
गौरतलब है कि कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इससे पहले भी संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति पर सवाल उठाये थे. उन्होंने कहा था कि राज्य के सभी सरकारी विभागों में अनुबंध के आधार पर कार्य करनेवाले कर्मचारियों की संख्या काफी अधिक है. राज्य सरकार ने स्थायी कर्मचारियों की नियुक्तियां जैसे बंद ही कर दी है.
ठेका कर्मचारियों के भरोसे ही चल रहे राज्य सरकार के महत्वपूर्ण विभाग
राज्य सरकार के महत्वपूर्ण विभाग भी ठेका कर्मचारियों के सहारे चल रहे हैं. यहां तक कि पुलिस में भी ठेका या अनुबंध पर कर्मचारियों की नियुक्ति हो रही है. राज्य सरकार की ठेका कर्मचारियों की नियुक्ति पर कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने सवाल उठाते हुए इसकी आलोचना की थी. हाइकोर्ट का कहना था कि राज्यभर में संविदा कर्मचारियों के माध्यम से काम हो रहा है. विशेष परिस्थितियों में संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की जा सकती है, लेकिन इसे नियमित रूप से नहीं किया जा सकता. उन्होंने यह भी कहा कि यहां तो पुलिस भी अनुबंध पर नियुक्त होती है. देश के अन्य किसी हिस्से में ऐसा नहीं होता. मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि सर्वत्र कैसे अनुबंध के आधार पर कर्मचारी नियुक्त किये जा सकते हैं? मैंने ऐसा और कहीं नहीं देखा. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर कर्मचारियों की नियुक्ति अनुबंध पर होगी, तो क्या वे जिम्मेदार होंगे? अगर अदालत के कर्मचारी अनुबंध पर होंगे, और कोई फाइल खो जाती है, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है