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जीवन में हमें विनम्र होना सिखाती है भागवत कथा : मुरलिका गौड़

जीवन में हमें विनम्र होना सिखाती है भागवत कथा

सुपौल

बच्चों का संस्कार हीन होने का मूल कारण जीवन में सत्संग का न होना है. धर्म से चलने की शिक्षा आप बच्चों को दें, जिससे उनके जीवन का अंधकार समाप्त हो जाये. भौतिक शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के जीवन में आध्यात्मिक शिक्षा भी जरूरी है. उक्त बातें गुरुवार को गांधी मैदान में आयोजित गणेश महोत्सव के दौरान श्रीमद्भागवत देवी कथा में वृंदावन से पधारी देवी मुरलिका गौड़ ने कही. कहा कि जीवन में भागवत कथा हमें विनम्र होना सिखाती है. साथ ही परिपक्वता को भी लेकर आती है. कथा श्रवण से ही जीवन में विनम्रता और सभ्यता का संचार होता है. मनुष्यों को हमेशा याद रखना चाहिये कि जिस संसार के भरोसे हम जी रहे हैं, वह ना तो कभी तुम्हारा था, ना है और ना ही रहेगा. लोग जब तक उन्हें पूछेंगे, तब तक तुम्हारे पास पैसा है. जब तक मनुष्य का शरीर स्वस्थ है, तभी तक मृत्यु दूर है. शरीर के सगे-संबंधी तभी तक आपके साथ है, जब तक शरीर आपका साथ दे रहा है. कथा वाचन कर रही देवी ने कहा कि किसी ने पूछा कि हम ऐसा क्या करें, जो हमें चैन की नींद आ सके. आज ये ही सबसे बड़ी समस्या है कि चैन की नींद नहीं आती है. जो व्यक्ति सत्य बोलता हो, कम खर्च करता हो, सत्य को याद रखने की जरूरत नहीं है. झूठ को याद रखना पड़ता है. जो मनुष्य अधिक खर्च करेगा, उसको धन का मूल्य कम पता होगा.

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