राजमहल. राजमहल प्रखंड के ग्रामीण सहित दियारा क्षेत्र में बड़ी आबादी पशुपालकों की है. पशुपालन के माध्यम से अपनी आजीविका चलाते हैं. पशु ही इनकी पूंजी है. इसके माध्यम से जीविकोपार्जन कर घर की आर्थिक स्थिति से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक और बच्चों के भविष्य बनाने में आर्थिक मदद मिलती है, यहां पशुपालकों की स्थिति काफी दयनीय है. पशुपालकों का कहना है कि ज्यादातर आबादी गंगा तट या दियारा क्षेत्र में बसे हैं. इस कारण बाढ़ के समय में पशुओं में समय-समय पर वायरल बीमारी होती है. पशु चिकित्सालय में समुचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण पशु मर जाते हैं. इसके बाद लोगों को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ता है. मालूम हो कि राजमहल प्रखंड क्षेत्र में दो पशु चिकित्सालय हैं, जिसमें एक प्रखंड मुख्यालय परिसर एवं दूसरा तीनपहाड़ पंचायत अंतर्गत है. 23 पंचायतों वाली प्रखंड में पशुपालकों की बड़ी आबादी है. प्रखंड कार्यालय परिसर में एक पशु चिकित्सालय है जो सफेद हाथी के दांत की तरह परिसर का शोभा बढ़ाने का कार्य कर रहा है. प्रतिनियुक्ति एक चिकित्सक के सहारे समय-समय पर पशुपालकों को अस्पताल का लाभ मिल रहा था, लेकिन संबंधित चिकित्सक के तबादला के बाद वर्तमान में यह अस्पताल चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के सहारे संचालित हो रहा है. इससे पशुपालकों को पशु के लिए कितनी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकती है इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. वहीं तीनपहाड़ पशु चिकित्सालय में तालझारी के एक पशु चिकित्सा को प्रभार दिया गया है जो सप्ताह में एक दिन अस्पताल पहुंचते हैं. सप्ताह में एक दिन अस्पताल खुलने और डॉक्टर के पहुंचने से क्षेत्र के पशुपालक अपने पशुओं को स्वास्थ्य सुविधाओं से कितना लाभान्वित कर पाएंगे यह चिंतन का विषय है. 2017 के गणना के मुताबिक पशुओं की संख्या वर्ष 2017 में की गयी पशु गणना के मुताबिक राजमहल प्रखंड में 34780 भैंस, 8946 बकरी, 50293 भेंड़, सूअर 30117 हैं. वर्तमान में वर्ष 2024 चल रही है और विगत सात वर्षों से गणना नहीं हुई है तो कहीं ना कहीं पशु की आबादी में वृद्धि हुई होगी. पशु को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह ना के बराबर है. पशुचिकित्सालय में कई पद हैं रिक्त राजमहल पशु चिकित्सालय में डॉक्टर के अलावा बसो आवो पारिवारिक सहायक एवं नाइट गार्ड का पद खाली है. एकमात्र चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों का पदस्थापन है. वहीं तीनपहाड़ पशु चिकित्सालय में डॉक्टर सहित नाइट गार्ड एवं कंपाउंडर का पद भी खाली है. बरसात के बाद मौसम बदलने से पशुओं में फैल सकती है बीमारी पशुपालकों ने आशंका जाहिर की है की गंगा का जलस्तर कम होने एवं बरसात के बाद मौसम बदलने से पशुओं में विभिन्न प्रकार की बीमारी हो सकती है. चिकित्सक नहीं रहने के कारण ऐसे समय में पशु की मौत हो जाती है. अधिकांश वैसे लोग जो पशुपालक बनाकर अपने आजीविका चला रहे हैं. लोगों के सामने आर्थिक तंगी की जैसी स्थिति आ जाती है. कहते हैं पशुपालक. फोटो नं 12 एसबीजी 28 है कैप्सन – गुरूवार को सुंदर मंडल मवेशी जब बीमार पड़ता है तो इलाज के लिए बरहरवा से निजी डॉक्टर को बुलाना पड़ता है. इससे अतिरिक्त राशि का भी भुगतान करना पड़ता है. बगैर सरकारी सुविधा के इस क्षेत्र में पशुपालक बनाना काफी कठिन है. -सुंदर मंडल, पशुपालक. फोटो नं 12 एसबीजी 29 है कैप्सन – गुरूवार को उत्तम घोष मेरे पास पांच मवेशी हैं. बीमार पड़ने से पशु चिकित्सालय में डॉक्टर नहीं रहते हैं. इस कारण समय पर इलाज नहीं हो पता है. पूर्व में भी कई पशु मर चुके हैं. -उत्तम घोष, पशुपालक. कहते हैं चतुर्थवर्गीय कर्मी डॉक्टर नहीं रहने के कारण पशु का इलाज नहीं हो पा रहा है. हालांकि छोटे जानवरों का इलाज हम लोग कर देते हैं. बड़ा जानवर का इलाज नहीं करते हैं. कृत्रिम धारण के लिए 15 कर्मी क्षेत्र में कार्यरत हैं. पशु की दवा अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. -दिलीप कुमार, चतुर्थवर्गीय कर्मी, पशु चिकित्सालय बोले जिला पशुपालन पदाधिकारी राजमहल पशु चिकित्सालय में प्रतिनियुक्त डॉक्टर का तबादला हो गयाहै. एक चिकित्सक सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में व्यस्त हैं. समापन के बाद एक डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति की जायेगी. जिले में पशु चिकित्सकों की कमी है. -हरिशंकर झा, जिला पशुपालन पदाधिकारी
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