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अविक के खिलाफ जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन

शिकंजा. आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप के करीबी पर भी गिरी गाज

शिकंजा. आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप के करीबी पर भी गिरी गाज कोलकाता. आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष के करीबी व एसएसकेएम (पीजी) के सर्जरी विभाग के पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी (पीजीटी) छात्र डॉ अविक दे पर लगे आरोपों की जांच के लिए स्वास्थ्य भवन सक्रिय हो गया है. अविक पर परीक्षा प्रणाली में कई अनियमितताओं, जूनियर डॉक्टरों पर धमकाने सहित कई अन्य आरोप भी हैं. स्वास्थ्य विभाग ने आरोपों की जांच के लिए चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. गुरुवार दोपहर स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक के कार्यालय से इस संबंध में आदेश जारी किया गया. एनआरएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ पीतावरन चक्रवर्ती को समिति के अध्यक्ष बनाया गया है. चार सदस्यीय समिति में नीलरतन अस्पताल के प्रिंसिपल के अलावा डायमंड हार्बर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ उप्पल दान, एसएसकेएम (पीजी) के फार्माकोलॉजी के डीन डॉ अभिजीत हाजरा और आरामबाग मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ रामप्रसाद राय शामिल हैं. चार सदस्यीय समिति को आरोपों की जांच कर सात दिनों में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है. जानकारी के अनुसार, डॉक्टर अविक दे की आरजी कर के पूर्व निदेशक संदीप घोष से काफी नजदीकियां थीं, जो पूर्व में बर्दवान मेडिकल कॉलेज के आरएमओ थे. अविक सर्विस कोटा पर एसएसकेएम में जनरल सर्जरी विभाग में प्रथम वर्ष के पीजीटी हैं. हालांकि, विवाद के बीच स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें पहले ही पांच सितंबर को निलंबित कर दिया था. उन्हें देश में डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठनों में से एक इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) से भी निलंबित कर दिया गया है. इतना ही नहीं पीजी अस्पताल प्रबंधन द्वारा पहले ही अविक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गयी है. गत सोमवार को कॉलेज काउंसिल की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अविक अब अस्पताल में कोई काम नहीं कर पायेंगे. वह अब आउटडोर विभाग, ऑपरेशन थिएटर (ओटी), आपातकालीन विभाग में ड्यूटी नहीं कर पायेंगे. आरजी कर: तोड़फोड़ के मामले में एक और गिरफ्तार कोलकाता. आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल की इमरजेंसी बिल्डिंग में हमला कर वहां तोड़फोड़ की घटना में लालबाजार की पुलिस ने एक और आरोपी को गिरफ्तार किया है. पकड़े गये आरोपी का नाम पूर्ण साव बताया गया है. गुरुवार को उसे सियालदह कोर्ट में पेश करने पर उसके वकील अमर्त्य दे ने अपने मुवक्किल को जमानत पर रिहा करने का आवेदन किया. गुरुवार को सियालदह कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपी को 18 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेजने का निर्देश दिया.

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