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Garh Ganesh Mandir: 300 साल पुराना भगवान गणेश का जयपुर का ऐतिहासिक गढ़ गणेश मंदिर

Garh Ganesh Mandir: जानिए जयपुर के गढ़ गणेश मंदिर के बारे में, जो 300 साल पुराना है और अरावली पर्वत पर स्थित है. इस मंदिर की विशेषताओं में गणेश जी की बिना सूंड की मूर्ति, भक्तों द्वारा लिखी गई मनोकामना चिट्ठिया. और इस ऐतिहासिक स्थल की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वता के बारे में

Garh Ganesh Mandir: राजस्थान के जयपुर शहर में स्थित गढ़ गणेश मंदिर एक ऐतिहासिक स्थल है, जो भगवान गणेश के भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है. यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना है और यहां की विशेषता ये है कि यहा भक्त अपनी मनोकामनाओं की चिट्ठियां भगवान गणेश को लिखते हैं. यह मंदिर नाहरगढ़ और जयगढ़ किलों के पास अरावली पर्वत एक पहाड़ी पर स्थित है, और 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित, इस स्थान पर पहुचने के लिए 365 सीढ़िया चढ़नी पड़ती हैं. हर रोज यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है, जो भगवान गणेश के दर्शन करने के लिए इस कठिन चढ़ाई को खुशी-खुशी पूरा करते हैं.

इतिहास और महत्व

गढ़ गणेश मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में हुआ था, जब महाराजा सवाई जय सिंह II ने इसे बनवाया था. महाराजा ने जयपुर की स्थापना के लिए गुजरात के पंडितों को बुलाकर अश्वमेध यज्ञ करवाया था और इसी यज्ञ के बाद गढ़ गणेश मंदिर की स्थापना की गई. इसके बाद जयपुर शहर की नींव रखी गई. इस मंदिर का निर्माण धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए किया गया था, ताकि भगवान गणेश की पूजा से शहर की स्थापना और विकास में शुभता और सफलता सुनिश्चित हो सके.

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मूर्ति की विशेषताए

गढ़ गणेश मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति की विशिष्टता इसे अन्य गणेश मंदिरों से अलग बनाती है. इस मूर्ति की प्रमुख विशेषता यह है कि इसे बिना सूंड के बनाया गया है. आमतौर पर गणेश जी की मूर्तियों में सूंड का चित्रण होता है, लेकिन गढ़ गणेश की मूर्ति में सूंड का न होना उनके अद्वितीय और विशेष स्वरूप को दर्शाता है. मूर्ति के आस-पास उनकी सवारी, मूषक, भी विराजमान है. मूषक, जो गणेश जी का वाहन है.

मंदिर की विशेषताए

गणेश मंदिर अरावली पर्वत पर स्थित है, जो इसके धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को और भी बढ़ा देता है. मंदिर की संरचना और इसका वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं. यहां भक्त भगवान गणेश से अपनी इच्छाओं और समस्याओं के बारे में पत्र लिखते हैं. ये पत्र न केवल व्यक्तिगत मनोकामनाओं को व्यक्त करते हैं, बल्कि भक्तों की आस्थाओं और विश्वासों को भी प्रकट करते हैं. मंदिर में विशेष स्थान पर एक टेबल रखी गई है, जहां लोग अपने पत्र डाल सकते हैं और आशा करते हैं कि भगवान गणेश उनकी इच्छाए पूरी करेंगे.

नाहरगढ़ और जयगढ़ की सुंदरता

गणेश मंदिर की भव्यता और ऐतिहासिक महत्व केवल इसके धार्मिक महत्व तक ही सीमित नहीं है. यह मंदिर नाहरगढ़ और जयगढ़ किलों के बीच स्थित है, जो जयपुर के ऐतिहासिक किलों में से दो महत्वपूर्ण किले हैं. इन किलों की भव्यता और इतिहास इस मंदिर की महिमा को और भी बढ़ा देते हैं. नाहरगढ़ किला, जो मंदिर के पास स्थित है, अपने शानदार दृश्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है. यहां से जयपुर शहर का दृश्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है. इसी तरह, जयगढ़ किला भी एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है और यहां से भी खूबसूरत दृश्य देखने को मिलते हैं. इन किलों की यात्रा के साथ-साथ गढ़ गणेश मंदिर का दौरा करना एक अद्वितीय अनुभव हो सकता है.

गढ़ गणेश मंदिर की मूर्ति की क्या विशेषता है?

गढ़ गणेश मंदिर की मूर्ति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भगवान गणेश की इस मूर्ति में सूंड नहीं है. यह मंदिर जयपुर के अरावली पर्वत पर स्थित है और इसकी स्थापना सवाई जय सिंह II द्वारा की गई थी.

सवाई जय सिंह II गढ़ गणेश मंदिर के दर्शन कैसे करते थे?

ऐसा कहा जाता हैं कि सवाई जय सिंह II मंदिर की ऊंचाई और दूरी के कारण दूरबीन का उपयोग करके गढ़ गणेश मंदिर के दर्शन करते थे. यह उनके लिए एक विशेष व्यवस्था थी ताकि वे बिना मंदिर आए भी भगवान गणेश के दर्शन कर सकें.

गढ़ गणेश मंदिर में भक्त अपनी मनोकामनाए कैसे व्यक्त करते हैं?

गढ़ गणेश मंदिर में भक्त भगवान गणेश को चिट्ठियाँ लिखकर अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करते हैं. ये चिट्ठियाँ मंदिर में विशेष स्थान पर रखी जाती हैं, और भक्त विश्वास करते हैं कि भगवान गणेश उनकी इच्छाएँ पूरी करेंगे.

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