13.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पूर्णिया कॉलेज के विकास में हिन्दी साहित्यकारों का रहा अहम योगदान

हिन्दी दिवस आज

हिन्दी दिवस आज पूर्णिया. पूर्णिया कॉलेज की स्थापना से लेकर उसके विकास तक में हिन्दी साहित्यकारों ने अहम भूमिका निभायी है. पूर्णिया कॉलेज की अहमियत तब खास हो गयी जब राष्ट्रकवि ने अपनी कालजयी रचना रश्मिरथी की रचना के लिए जब पूर्णिया कॉलेज में प्रवास किया. पूर्णिया कॉलेज की पृष्ठभूमि में सबसे अहम नाम डॉ. लक्ष्मी नारायण सुधांशु और डॉ. जनार्दन प्रसाद झा द्विज हैं. डॉ. सुधांशु की पहल से ही द्विजजी ने पूर्णिया कॉलेज के प्रथम स्थायी प्रधानाचार्य का पद संभाला. इसके बाद सुधांशु-द्विज की जोड़ी के प्रभाव से राष्ट्रकवि दिनकर से लेकर कई नामचीन हस्तियों ने पूर्णिया कॉलेज का आतिथ्य स्वीकार किया और यहां आकर हिन्दी साहित्य को नया आयाम दिया. पूर्णिया कॉलेज के हिन्दी विभाग के अलावे अंग्रेजी विभाग, संस्कृत विभाग और उर्दू विभाग के शिक्षकों ने भी हिन्दी साहित्य की अमूल्य सेवा की है. प्रथम स्थायी प्रधानाचार्य डॉ. जनार्दन प्रसाद झा द्विज के बाद भी कई प्रधानाचार्य आये जिन्होंने हिन्दी साहित्य को सींचने का काम किया. इसके साथ पूर्णिया कॉलेज भी फलता-फूलता रहा . पूर्णिया कालेज के अंग्रेजी विभाग के प्राध्यापक स्व. प्रो. कैलाश नाथ तिवारी ने डॉ. लक्ष्मी नारायण सुधांशु स्मृति ग्रंथ लिखकर हिन्दी साहित्य को एक नया आयाम दिया. पूर्णिया कॉलेज के वर्तमान प्रधानाचार्य प्रो. एस एल वर्मा अंग्रेजी के प्राध्यापक हैं पर हिन्दी साहित्य में ही वे पूरी तरह रचे-बसे हैं. उनसे पहले प्रधानाचार्य के पद पर रहते हुए डॉ. मुहम्मद कमाल ने दिनकर स्मृति कक्ष को आकार दिया. पूर्णिया कॉलेज के पूर्ववर्ती छात्र और पूर्व डीन मानविकी प्रो. गौरीकांत झा बताते हैं कि हिन्दी साहित्य के विद्वानों ने पूर्णिया कॉलेज के निर्माण में महती योगदान दिया. इस कड़ी में जो भी नाम हैं, उनके योगदान को नमन है. फोटो परिचय- पूर्णिया कॉलेज

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें