प्रतिनिधि, सरिया.
सरिया प्रखंड क्षेत्र के आदिवासी इलाकों सहित तमाम ग्रामीण क्षेत्रों में कई समाज के लोगों द्वारा प्रकृति उपासना का पर्व करमा एकादशी का त्योहार हर्षोल्लास मनाया जा रहा है. इसे लेकर गांव की महिलाएं तथा युवतियां शुक्रवार को नहाय-खाय कीं. शाम को घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाये, जिसका परिजनों ने आनंद उठाया. जबकि करमा एकादशी पर्व शनिवार को मनाया जायेगा. करमैतिन अपने भाइयों की लंबी आयु की कामना, सुंदर जीवन साथी की प्राप्ति तथा सुख-समृद्धि के लिए शनिवार को दिन भर उपवास रहकर शाम को करम डाली की पूजा करेंगी. वहीं रात भर मांदर की थाप पर करमा गीत तथा नृत्य का लोग आनंद लेंगे. बताते चलें कि तीज व्रत की समाप्ति के पश्चात स्त्रियां नदी से बालू उठाकर लाती हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार के अनाज के बीजों को बोया जाता है. करमैतिन प्रतिदिन नहा-धोकर उसमें जल डालती हैं. दशमी तिथि को करमैतिन जावा की टोकरी उठा कर अखाड़ा के चारों ओर घूमती हैं और करमा का गीत गाकर नाचती हैं. जबकि एकादशी तिथि को गांव का पाहन करम डाली काट कर लाता है, जिसे शाम को अखाड़े में स्थापित किया जाता है. करमैतिन बोये गये बीज की टोकरी को अखाड़ा में रखती हैं. उस दिन दिन भर निराहार-निर्जला रहकर रात को करम डाली की पूजा करती हैं. पूजा के बाद लोग कर्मा-धर्मा की कथा सुनते हैं. जबकि द्वादशी तिथि को करम डाली तथा बोये हुए अनाज को जलाशय में प्रवाहित किये जाने के साथ करम पर्व संपन्न हो जाता है. इस त्योहार में खीरा की प्रधानता बतायी जाती है. जिस कारण बाजार में खीरे की कीमत में उछाल है. जबकि कुछ लोग करमा एकादशी में व्रत में रहकर भगवान विष्णु की उपासना करते हैं. करमा के त्योहार को लेकर क्षेत्र में धूम मची है. जगह-जगह अखाड़े में महिलाएं तथा युवतियां नृत्य संगीत का आनंद ले रही हैं. सर्वत्र उत्साह और उमंग का माहौल देखा जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है