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हड़ताल से इलाज के अभाव में मारे गये लोगों के परिजनों को दो-दो लाख का मुआवजा

मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को पीड़ित परिवारों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की.

संवाददाता, कोलकाता

आरजी कर कांड के बाद से न्याय की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टर पिछले 34 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. डॉक्टरों की हड़ताल के कारण राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई है. इस बीच, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण अब तक राज्य में 29 मरीजों की मौत हो गयी है. मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को पीड़ित परिवारों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की.

नौ अगस्त को इस अस्पताल में हुई इस घटना के खिलाफ जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी जूनियर डॉक्टरों को 10 सितंबर शाम पांचे तक हड़ताल समाप्त करने के लिए कहा था. बावजूद इसके जूनियर चिकित्सकों की हड़ताल जारी है. ममता बनर्जी ने शुक्रवार को सोशल मीडिया एक्स के माध्यम से कहा कि यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है कि जूनियर डॉक्टरों के लंबे समय तक काम नहीं करने के कारण स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान के कारण हमने 29 बहुमूल्य जिंदगियां खो दी हैं. शोक संतप्त परिवारों की मदद के लिए राज्य सरकार ने सांकेतिक वित्तीय राहत की घोषणा की है. प्रत्येक पीड़ित परिवार को दो-दो लाख रुपये की वित्तीय मदद दी जायेगी.

हड़ताल खत्म कराने के लिए सरकार के अब तक के प्रयास विफल

जूनियर चिकित्सकों की हड़ताल को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार के अब तक के सभी प्रयास विफल रहे हैं. राज्य सरकार ने हाल ही में जूनियर चिकित्सकों को बैठक के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन जूनियर चिकित्सक दो बार मिलने के लिए नहीं गये.

मुख्यमंत्री के दावे को जूनियर डॉक्टरों ने किया खारिज

वहीं, राज्य सरकार के आरोप पर आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों का दावा है कि राज्य में कुल सरकारी अस्पतालों की संख्या 245 है. इनमें से 26 मेडिकल कॉलेज हैं, जिसमें जूनियर डॉक्टरों की कुल संख्या 7500 से ज्यादा नहीं है. पश्चिम बंगाल में रजिस्टर्ड डॉक्टरों की संख्या 93 हजार के अधिक है. ऐसे में स्वास्थ्य सेवा कैसे बाधित हो रही है, क्योंकि केवल कुछ मेडिकल कॉलेज जहां वरिष्ठ चिकित्सक सेवारत हैं, वहीं जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. इसलिए जूनियर चिकित्सकों की हड़ताल की वजह से ये मौतें हुई हैं, यह कहना पूरी तरह से गलत है.

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