21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Banka news : 17 से पितृपक्ष की हो रही है शुरुआत, मोक्ष प्राप्ति के लिए करें तर्पण

Banka news : पितृपक्ष में श्राद्ध तर्पण व पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है. साथ ही उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

Banka news : पितृपक्ष की शुरुआत होने के पूर्व से ही लोग अपने पितरों का सम्मान करने की तैयारी में जुट गये है. इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 17 सितंबर यानि मंगलवार के दिन से हो रही है. इसका समापन 02 अक्तूबर यानि बुधवार के दिन को होगा. पितरों की आत्मा की शांति के लिए साल के 15 दिन बेहद खास होते हैं, जिसे पितृपक्ष कहा जाता है. हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व होता है. इस संबंध में बांका जिले के बौंसी गुरुधाम के पंडित गोपाल शरण ने बताया कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं.

पूर्वजों की आत्मा को मिलती है शांति

इस दौरान नियमित श्राद्ध तर्पण व पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. साथ ही उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. पितरों की तृप्ति के लिए भोजन व जल अर्पित किया जाता है. ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. उन्हें दान-दक्षिणा देकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है. पितृपक्ष की शुरुआत हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से अमावस्या तिथि तक होती है. पितृपक्ष मृत पूर्वजों को समर्पित एक महत्वपूर्ण अवधि है. माना जाता है कि यह वह समय होता है जब पूर्वजों की आत्माएं प्रसाद और प्रार्थना के प्रति सबसे अधिक ग्रहणशील होती हैं.श्राद्ध पक्ष वास्तव में पितरों को याद करके उनके प्रति श्रद्धा भाव प्रदर्शित करने का अवसर है. पितरों का श्राद्ध करने से जन्म कुंडली में व्याप्त पितृदोष से भी हमेशा के लिए छुटकारा मिलता है.

पितृपक्ष का महत्व

पितृपक्ष हिंदुओं के लिए अपने पूर्वजों को सम्मान देने व परिवार की भलाई और समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद लेने का समय होता है. ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान अनुष्ठान करने और प्रसाद चढ़ाने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मुक्ति मिलती है. माना जाता है कि वे अपने वंशजों की खुशी और सफलता का आशीर्वाद देते हैं.

पितृपक्ष शुरू होने की तिथि

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को प्रातः 11:44 से पितृपक्ष शुरू हो रहा है. इसका समापन 18 सितंबर को प्रातः 08:04 पर हो रहा है. ऐसे में भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 17 सितंबर को होगा.उदयातिथि के आधार पर भाद्रपद पूर्णिमा का स्नान दान 18 सितंबर को है.श्राद्ध दिन में 11 बजे के बाद करते हैं. ऐसे में 17 सितंबर को पूर्णिमा तिथि में श्राद्ध हो पायेगा, क्योंकि 18 सितंबर को सुबह 08:04 बजे पूर्णिमा तिथि खत्म हो जा रही है.

इस समय करें श्राद्ध कर्म

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में सुबह और शाम के समय देवी-देवताओं की पूजा होती है. दोपहर का समय पितरों को समर्पित होता है. इसलिए दोपहर 12:00 बजे श्राद्ध कर्म किया जाता है.श्राद्ध कर्म के लिए कुतुप व रौहिण मुहूर्त सबसे अच्छा माना जाता है.श्राद्ध के दिन कौवे, चींटी, गाय, देव, कुत्ता एवं पंचबलि भोग देना चाहिए. साथ ही ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए.

पितृपक्ष में बरतें सावधानी

पितृपक्ष के दौरान प्रतिदिन पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए. तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत, जौ और काले तिल का उपयोग करना चाहिए. तर्पण करने के बाद पितरों से प्रार्थना करें और गलतियों के लिए क्षमामांगें. श्राद्धकर्म के दौरान बाल और दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए. साथ ही इन दिनों में घर पर सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए. तामसिक भोजन से पूरी तरह परहेज करना चाहिए.

किस दिन कौन होगा श्राद्ध

17 सितंबर, मंगलवार: पूर्णिमा श्राद्ध, 18 सितंबर, बुधवार: प्रतिपदा श्राद्ध, 19 सितंबर, गुरुवार: द्वितीया श्राद्ध, 20 सितंबर, शुक्रवार: तृतीया श्राद्ध, 21 सितंबर, शनिवार: चतुर्थी श्राद्ध, महाभरणी, 22 सितंबर, रविवार: पंचमी श्राद्ध, 23 सितंबर, सोमवार:षष्ठी व सप्तमी श्राद्ध, 24 सितंबर, मंगलवार: अष्टमी श्राद्ध, 25 सितंबर, बुधवार:नवमी श्राद्ध, मातृ नवमी, 26 सितंबर, गुरुवार: दशमी श्राद्ध, 27 सितंबर, शुक्रवार: एकादशी श्राद्ध, 29 सितंबर, रविवार: द्वादशी व मघा श्राद्ध, 30 सितंबर, सोमवार: त्रयोदशी श्राद्ध, 01 अक्तूबर, मंगलवार: चतुर्दशी श्राद्ध, 02 अक्तूबर: अमावस्या श्राद्ध,पितृ अमावस्या.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें