IPS Sheela Irani: आइपीएस शीला इरानी आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. वे अपनी कड़क और ईमानदार छवि के लिए काफी मशहूर रही हैं. इनका जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ. इनके पिता ज्वाइंट लेबर कमिश्नर थे. शीला इरानी की स्कूलिंग गिरिडीह के कार्मेल स्कूल से हुई और पटना विमेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया. वर्ष 2000 में वे पुलिस सर्विसेज में आ गयीं.
वर्ष 2002 में बिहार की पहली महिला पुलिस अधिकारी बनीं. इन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभाया है. पटना की ट्रैफिक डीएसपी बनीं, टाऊन डीएसपी रहीं और नगर निगम में भी नियुक्त हुईं. वर्तमान में वे डायल 112 का नेतृत्व कर रही हैं. वे कहती हैं, अब महिलाओं को डरने की जरूरत नहीं है. परेशानी होने पर डायल 112 से ‘सुरक्षित सफर सुविधा’ का लाभ उठा सकती हैं.
Q. आपने प्रशासनिक सेवा से जुड़ने का मन कैसे बनाया?
बचपन से ही मन में था कि मुझे प्रशासनिक सेवा में ही जाना है. यूनिफॉर्म सर्विसेज हमेशा से सभी को आकर्षित करता है. जब मैं स्कूल में थी, तो डीडी नेशनल पर उड़ान सीरियल आता था. इसमें कलाकार कविता चौधरी ने आइपीएस अधिकारी का किरदार निभाया था. उनसे प्रेरित होकर मैंने इसमें आने का मन बनाया. इसके साथ ही प्रशासनिक सेवा से जरिये आप समाज के लोगों को भी सुरक्षित करने में योगदान देते हैं, तो यही सब सोचकर मैं प्रशासनिक सेवा से जुड़ी.
Q. पहली पोस्टिंग के दौरान आपको किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा ?
मेरी पहली पोस्टिंग पटना में ‘पटना ट्रैफिक पुलिस’ में डीएसपी के तौर पर हुई थी. इस दौरान मुझे अच्छे व बुरे दोनों का अनुभव प्राप्त हुआ. इस शहर में काम करना अपने आप में बड़ी चुनौती है. मुझे जो भी काम मिला, उसे मैंने पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करने की कोशिश की. उस दौर में लोग हेलमेट नहीं पहनते थे और तकनीक भी आज की तरह नहीं थी. तब जगह-जगह पर चेकिंग लगाकर हेलमेट पहनने का अभियान चलाया. विक्रम गाड़ी में बच्चे लटकर जाते थे, इसपर अभियान चलाया. ऑटो रिक्शा में तेज ध्वनि बजाने से महिलाओं को होने वाली परेशानी पर भी एक्शन लिया. वीमेन हेल्पलाइन से भी जुड़कर काम किया, तो स्कूल-कॉलेज की छात्राओं को प्रशिक्षित किया.
Q. जब आप एंटी क्रीमनल वर्क के दौरान रेड करती थीं, तो कितना चैलेंजिंग होता था ?
ट्रेनिंग के दौरान हमें खुद की सेफ्टी के साथ टीम की सेफ्टी को लेकर प्रशिक्षित किया जाता है. जब प्लान कर रेड करना होता था, तो हम प्रॉपर तरीके से रेकी कर सबकी जिम्मेदारी तय कर एक्शन लेते थे. जब बिना प्लान के रेड करना होता था, तो पूरी टीम सतर्क रहते हुए एक्शन लेती थी.
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Q. घर और ड्यूटी की जिम्मेदारियों को संभालते हुए खुद के मेंटल हेल्थ का कैसे ख्याल रखती हैं?
जो भी महिलाएं बाहर काम करती हैं वह दोनों जगह को बैलेंस करना तभी सीख जाती हैं जब वह चीजों को एक्सेप्ट कर लेती हैं. अच्छा संगीत, सकारात्मक लोगों से मिलना, दोस्तों के साथ समय बिताना, अच्छा खाना आपके मूड को फ्रेश करता है. मैं पटना वीमेंस कॉलेज की छात्रा रही हूं, यहां पर आयोजित होने वाले एलुमनाई मीट में शामिल होती हूं. मैं खुद के लिए समय जरूर निकालती हूं.