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तप के बिना संसार से छुटकारा नहीं होता: जागेश शास्त्री

श्री चंपापुर सिद्धक्षेत्र, नाथनगर-कबीरपुर एवं कोतवाली चौक समीप जैन मंदिर में दशलक्षण महापर्व के सातवें दिन शनिवार को उत्तम तप धर्म की आराधना विधि-विधान से हुई.

श्री चंपापुर सिद्धक्षेत्र, नाथनगर-कबीरपुर एवं कोतवाली चौक समीप जैन मंदिर में दशलक्षण महापर्व के सातवें दिन शनिवार को उत्तम तप धर्म की आराधना विधि-विधान से हुई. जबलपुर के पंडित जागेश शास्त्री ने कहा कि गलत बात पर मौन रहना गलत बात की स्वीकृति है. हल्के व्यक्ति हल्के कार्य न करें, तो हल्के कैसे कहलायेंगे. तप के बिना संसार से छुटकारा नहीं होता. ज्ञानी व्यक्ति कभी भी हार नहीं मानते हैं. सीखने की ललक हो तो कुछ भी कठिन नहीं है. सफलता चाहिए तो सहयोग के लिए जुट जाइये. लोक में जितने भी अनर्थ पैदा होते हैं, वे सभी कुसंग से होते हैं. उन्होंने कहा कि अच्छाइयां सीखी जाती है.यह खरीदी नहीं जा सकती. उदारता आपकी बड़ी सोच का प्रतिफल है. कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के श्रद्धालुओं ने शिरकत किया. उनका उत्साह देखते ही बन रहा था.

कोतवाली चौक स्थित जैन मंदिर में पंडित मुकेश शास्त्री ने कहा कि जिंदगी मौसम से नहीं, सद्कर्म से सुहानी होती है. अज्ञानी सिर्फ अपने लिए जीवन जीता है, जबकि ज्ञानी जगत के हित के लिए जीता है. इच्छाओं का निरोध तप है. तप, तन, मन जीवन को शुद्ध करता है. चाह निरंतर जलाती है. सुविधा व्यक्ति को सहनशील नहीं बनने देती. सम्मान हमेशा व्यक्ति को नहीं उसके कार्य को दिए जाते हैं. सिद्धक्षेत्र मंत्री सुनील जैन ने बताया कि रविवार को उत्तम त्याग धर्म की आराधना की जायेगी. आप प्रसन्न नहीं हैं तो पक्का है कि आप नकारात्मक सोच रहे हैं.

इस मौके पर विजय रारा, पदम पाटनी, जय कुमार काला, अशोक पाटनी, शंकर जैन, पवन बड़जात्या, अशोक पहाड़िया, डॉ निर्मल जैन, अजय जैन, आलोक जैन, अजीत जैन, राम जैन आदि उपस्थित थे.

इधर श्री बंगाल बिहार उड़ीसा तीर्थ क्षेत्र कमेटी के कार्यकारिणी सदस्य सुमित बड़जात्या ने कहा कि तप केवल भूखे रहने का नाम नहीं, इच्छाओं को मिटाने का नाम तप है. शरीर को तपाने से पहले मन को भोगों से दूर कर अपने भीतर रमाओ.

बताया कि 15 सितंबर को जैन सनातन धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखर के रेलवे स्टेशन पारसनाथ से दो वंदे भारत एवं विश्व की एक मात्र पंचकल्याणक तीर्थस्थली श्री चंपापुर (भागलपुर) जहां भगवान वासुपूज्य जी के पांचों कल्याणक हुए वहां से एक वंदे भारत ट्रेन प्रारंभ होने वाला है. इस ट्रेन के परिचालन से जैन तीर्थ यात्रियों को बहुत ही सुविधा होगी.

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