Raviwar Ke Upay: प्राचीन भारतीय धर्मशास्त्रों और पुराणों में जीवन को संतुलित और शुद्ध बनाए रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करने का निर्देश दिया गया है. इनमें से कई नियम सीधे तौर पर रविवार के दिन से जुड़े हैं, जिसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष दिन माना गया है. ब्रह्मवैवर्त पुराण और स्कंद पुराण जैसे ग्रंथों में विस्तार से बताया गया है कि रविवार के दिन किन चीजों का सेवन और किन कार्यों से परहेज करना चाहिए. यह दिन सूर्य देव को समर्पित है, और इन नियमों का पालन सूर्य की कृपा प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जाता है.
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आइए जानते हैं इन महत्वपूर्ण धार्मिक नियमों के बारे में और इनके पीछे छिपे आध्यात्मिक कारण
तिल का तेल प्रयोग निषिद्ध
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, रविवार के दिन तिल का तेल लगाना या उसका सेवन करना वर्जित है. यह नियम शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखने के लिए बताया गया है. तिल का तेल सूर्य ग्रह से जुड़ा हुआ माना जाता है, और इस दिन इसका प्रयोग करने से व्यक्ति के स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. ऐसा माना जाता है कि तिल का तेल शरीर की गर्मी बढ़ाता है, जो सूर्य की ऊर्जा के विपरीत होता है. इसलिए, रविवार को तिल के तेल का उपयोग वर्जित किया गया है.
मसूर की दाल, अदरक, और लाल रंग के साग का सेवन मना है
धर्मशास्त्रों में बताया गया है कि रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक, और लाल रंग के साग का सेवन नहीं करना चाहिए. ब्रह्मवैवर्त पुराण के श्रीकृष्ण खंड में कहा गया है कि मसूर की दाल और लाल रंग सूर्य ग्रह की ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं, और इनका सेवन करने से सूर्य के नकारात्मक प्रभाव बढ़ सकते हैं. अदरक भी शरीर की ऊर्जा को बढ़ाता है, जो रविवार के दिन की शांति और धीरज की स्थिति के विपरीत होता है. इसलिए, इन चीजों से दूर रहना शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक माना जाता है.
कांसे के पात्र में भोजन निषिद्ध
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, रविवार को कांसे के बर्तन में भोजन करना भी निषिद्ध है. कांसा, धातुओं में सूर्य से संबंधित माना जाता है और इस दिन इसमें भोजन करने से जीवन में असंतुलन और नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं. धार्मिक मान्यता यह है कि रविवार को धातु से बने बर्तनों का उपयोग करने से स्वास्थ्य और मानसिक शांति प्रभावित हो सकती है. काँसे का प्रभाव गर्मी और उष्णता से जुड़ा होता है, जो सूर्य देव की शक्ति के साथ तालमेल नहीं बैठाता.
बिल्ववृक्ष का पूजन
स्कंद पुराण में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि रविवार के दिन बिल्ववृक्ष की पूजा करने से ब्रह्महत्या जैसे महापापों का भी नाश हो सकता है. यह वृक्ष भगवान शिव के प्रिय माने जाते हैं, और रविवार के दिन इसका पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि आती है. बिल्ववृक्ष का पूजन आध्यात्मिक शुद्धता और जीवन की नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त करने का एक साधन माना जाता है. यह दिन उन लोगों के लिए विशेष रूप से शुभ होता है जो अपने कर्मों के प्रभाव से छुटकारा पाना चाहते हैं और धार्मिक गतिविधियों में शामिल होना चाहते हैं.
रविवार के नियमों का आध्यात्मिक महत्व
रविवार का दिन सूर्य देवता की पूजा और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष माना जाता है. भारतीय ज्योतिष और धर्मशास्त्रों में सूर्य को आत्मा, स्वास्थ्य, और जीवन ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. इसलिए, इस दिन की गई पूजा और अनुशासन से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. तिल के तेल, मसूर की दाल, और काँसे के बर्तनों से परहेज का उद्देश्य यही है कि व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहे.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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