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कोसी बराज की तरह ही फिजिकल मॉडलिंग सेंटर बनेगा धरोहर- बबन पाण्डेय

इंजीनियर्स डे के मौके पर मुख्यालय स्थित कौशिकी भवन के सभागार में शुक्रवार की शाम कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

इंजीनियर्स डे : भारतरत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का मनाया गया 164वां जन्मदिन, कौशिकी भवन के सभागार में कार्यक्रम का किया गया आयोजनवीरपुर. इंजीनियर्स डे के मौके पर मुख्यालय स्थित कौशिकी भवन के सभागार में शुक्रवार की शाम कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जहां उपस्थित अभियंताओं ने भारतरत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को उनके 164वें जन्मदिन पर याद किया. बारी-बारी से अभियंताओं ने विश्वश्वरैया के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनका जन्मदिन मनाया. इसी दौरान 57वां अभियंता दिवस भी मनाया गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बाढ़ नियंत्रण एवं जल निःसंरण के चीफ इंजीनियर वरुण कुमार, सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर सह फ्लड फाइटिंग फ़ोर्स के चेयरमेन सहरसा अंचल प्रकाश दास, सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता सह फ्लड फाइटिंग फ़ोर्स के चेयरमैन वीरपुर महेश ठाकुर, सेवानिवृत्त अभियंता ब्रज किशोर राय, अधीक्षण अभियंता कोसी अंचल वीरपुर जमील अहमद, सहायक अभियंता विंध्याचल कुमार, अधीक्षण अभियंता सहरसा राजेश कुमार सिन्हा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की. इसके बाद अतिथियों को पौधा, बुके, माला व अंग -वस्त्र देकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य अभियंता वरुण कुमार ने की. अभियंता प्रकाश दास ने बताया कि मोक्षगुंडन विश्वेश्वरैया के जन्मदिन को भारत के आलावा तुर्की और तंजीजिया में भी मनाया जाता हैं. अपने चीन और जापान के दौरे के बाद कई प्रकार के उपाधियों को हासिल करते हुए भारत में अपना कार्य शुरू किया. वर्ष 1955 में इन्हें भारतरत्न से सुशोभित किया. उन्होंने अभियंता दिवस पर कोसी के सभी अभियंताओं को बधाई देते हुए कहा कि आप मेहनत करते रहे यही मेहनत रंग लाती हैं. इस साल कोसी के अधिकतम जलस्तर 3.93 लाख क्यूसेक रहते हुए तटबंध पर जोखिम भरे कार्य करने की सराहना की. जहां मुंख्य वक्ता कार्यपालक अभियंता बबन पाण्डेय ने कहा कि एम विश्वेश्वरैया भारत के महान इंजीनियरों में से एक थे. उन्होंने आधुनिक भारत की रचना की और भारत को नया रूप दिया. उनकी दृष्टि और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में समर्पण भारत के लिए कुछ असाधारण योगदान दिया. भारत में प्रति वर्ष 15 सितंबर को अभियंता दिवस मनाया जाता है. वही इसके अलावे अन्य दर्जनों अभियंताओं ने मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जीवनी पर प्रकाश डाला और वर्तमान समय में अभियंताओं की दिशा और दशा पर भी चर्चा की. कार्यक्रम के मौके पर जल संसाधन विभाग के एसडीओ कौसर कुमार, एसडीओ संजय कुमार वर्मा, जेई पवन कुमार, नयन कुमार, अरविंद कुमार, रौशन कुमार, संजय कुमार, दिलीप कुमार, मुकेश कुमार, संजय कुमार, मनोज कुमार, नवीन कुमार आदि दर्जनों अभियंता मौजूद रहे.

पुस्तक द मेकिंग ऑफ़ फिजिकल मॉडलिंग सेंटर का हुआ विमोचन

वीरपुर. 57 वें अभियंता दिवस के मौके पर मुख्यालय स्थित कौशिकी भवन के सभागार मे रविवार क़ो भारत के दूसरे सबसे बड़े फिजिकल मॉडलिंग सेंटर के प्रारूप शीर्ष कार्य प्रमंडल के एक्सक्यूटिव इंजीनियर बबन पाण्डेय द्वारा लिखित द मेकिंग ऑफ़ फिजिकल मॉडलिंग सेंटर पुस्तक का विमोचन किया गया. अभियंता दिवस के मौके पर बाढ़ नियंत्रण एवं जल निःसंरण के चीफ इंजीनियर वरुण कुमार, सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर सह फ्लड फाइटिंग फ़ोर्स के चेयरमेन सहरसा अंचल प्रकाश दास, सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता सह फ्लड फाइटिंग फ़ोर्स के चेयरमैन वीरपुर महेश ठाकुर, सेवानिवृत्त अभियंता ब्रज किशोर राय, अधीक्षण अभियंता कोसी अंचल वीरपुर जमील अहमद, सहायक अभियंता विंध्याचल कुमार, अधीक्षण अभियंता सहरसा राजेश कुमार सिन्हा ने संयुक्त रूप से पुस्तक का विमोचन किया. लेखक बबन पाण्डेय ने बताया कि बिहार ही नहीं पूरे राष्ट्र की धरोहर के रूप में कोसी बराज क़ो जाना जाता है. ठीक उसी प्रकार वीरपुर स्थित फिजिकल मॉडलिंग सेंटर भी आने वाले समय में एक धरोहर बनेगा. लेकिन कोसी बराज के निर्माण में क्या क्या परेशानियां आयी थी. किन किन अभियंताओं ने इस बराज के निर्माण में अपना अपना योगदान दिया था यह बातें आज पता नहीं चल पाती है. इसलिए फिजिकल मॉडलिंग सेंटर के निर्माण के दौरान उक्त निर्माण कार्य की शुरुआत में बतौर सहायक अभियंता था और आज इसी प्रोजेक्ट के दौरान कार्यपालक अभियंता भी हूं. इसलिए इस धरोहर के निर्माण के दौरान किन किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है. किन किन अभियंताओं का इस निर्माण कार्य में योगदान रहा है. इन सभी का उल्लेख उक्त पुस्तक में है. जो आने वाले पीढ़ियों के लिए मिल का पत्थर साबित होगा.उन्होंने बताया कि इस पुस्तक के लेखन में कुल तीन महीने का समय लगा है और अभी इस पुस्तक का मात्र अंग्रेजी में प्रकाशन किया गया है. कार्यक्रम में मौजूद अतिथि अभियंता व सेवानिवृत्त अभियंताओं ने इस पुस्तक की सराहना की और कहा कि इससे पूर्व भी श्री पाण्डेय ने कई पुस्तकें लिखी है जो जल संचय के लिए बहुत ही सराहनीय है.

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