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भगवान बलभद्र की रथ आकर्षण का केंद्र

भगवान बलभद्र की रथ आकर्षण का केंद्र

बलभद्र पूजनोत्सव पर निकाली भव्य शोभायात्रा, भजन संध्या का आयोजन

मुरलीगंज

व्याहुत पंचायत समिति के तत्वावधान में रविवार को शहर के गोलबाजार स्थित व्याहुत भवन परिसर में धूमधाम से बलभद्र पूजनोत्सव का आयोजन किया. बलभद्र पूजनोत्सव पर श्रद्धालुओं ने भव्य शोभायात्रा निकाली. व्याहुत भवन परिसर स्थित पूजनोत्सव स्थल से भव्य रथ पर सवार भगवान बलराम व कृष्ण, गाजे बाजे के साथ पीला रंग का वस्त्र धारण किये श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही. शोभायात्रा में भगवान बलभद्र की रथ आकर्षण का केंद्र बना रहा. विशाल शोभायात्रा व्याहुत भवन परिसर से निकलकर शांति नगर, हाट बाजार, मिडिल चौक, भगतपट्टी, हरिद्वार चौक, गोलबाजार भ्रमण करते हुए पूजनोत्सव स्थल पर पहुंचा. धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों का विशेष महत्व होता है, और बलभद्र पूजा एक ऐसा आयोजन है जो श्रद्धा और भक्ति की अनोखी मिसाल प्रस्तुत करता है. इस पूजा के साथ जुड़ी शोभा यात्रा इसकी भव्यता को और भी बढ़ा देती है, जो समर्पण और परंपरा का अद्वितीय संगम प्रस्तुत करती है.

बलभद्र पूजा का महत्व

बलभद्र, जिन्हें बलभद्र भी कहा जाता है, भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई हैं और उनकी पूजा विशेष रूप से उनके सम्मान में की जाती है. बलभद्र को शक्ति, साहस एवं न्याय का प्रतीक माना जाता है. उनके बारे में मान्यता है कि वे भक्तों के संकट दूर करने और उनकी रक्षा करने में सक्षम हैं. इस पूजा के दौरान, श्रद्धालु विशेष पूजा-अर्चना, अनुष्ठान एवं भजन-कीर्तन के माध्यम से बलभद्र की आराधना करते हैं.

पूजा की तैयारी

बलभद्र पूजा की तैयारी बड़े धूमधाम से की जाती है. मंदिरों और घरों को सुंदर ढंग से सजाया जाता है. पूजा स्थल को फूलों, दीपों और रंगीन वस्त्रों से सजाया जाता है. पूजा की सामग्री में चावल, फल, मिठाई और विशेष पकवानों की व्यवस्था की जाती है. इस दिन विशेष प्रकार की भोग अर्पित की जाती है जो बलभद्र को प्रिय होती है.

शोभा यात्रा का आयोजन

बलभद्र पूजा के साथ ही शोभा यात्रा का आयोजन भी किया जाता है, जो पूजा का मुख्य आकर्षण होती है. शोभा यात्रा का आयोजन पूजा के दिन भव्य रथ पर बलभद्र की प्रतिमा को सजाकर किया जाता है. रथ को रंग-बिरंगे फूलों, बत्तियों और सजावटी वस्त्रों से सजाया जाता है. यात्रा के दौरान श्रद्धालु ढोल-नगाड़ों और भजन-कीर्तन के साथ रथ की शोभा बढ़ाते हैं.

इस यात्रा में लोग पारंपरिक वेशभूषा में सज-धजकर शामिल होते हैं, और नृत्य-गान के साथ वातावरण को भक्तिपूर्ण और उल्लासपूर्ण बना देते शोभा यात्रा शहर की प्रमुख सड़कों से होकर गुजरती है और इस दौरान श्रद्धालु अपने घरों और मंदिरों से रथ को दर्शन देने के लिए बाहर आते हैं. यात्रा के मार्ग में विशेष स्वागत समारोह और धार्मिक अनुष्ठान भी किये जाते हैं.

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

बलभद्र पूजा एवं शोभा यात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं हैं, बल्कि ये सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी प्रोत्साहित करते हैं. यह अवसर समुदाय के लोगों को एकजुट करता है और परंपराओं को जीवित रखने में सहायक होता है. हर कोई इस अवसर को मिलकर उत्सव के रूप में मनाता है, जिससे सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं और संस्कृति को बढ़ावा मिलता है.

वही कार्यक्रम में उपस्थित बुद्धिजीवियों ने समाज के उत्थान व मजबूती पर चर्चा किया. साथ ही व्याहुत पंचायत समिति द्वारा व्याहुत समाज के पांच बुर्जुगों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया. वही सम्मानित होने वाले में डॉ शिवावतार भगत, राघवेंद्र भगत, नीलचंद्र भगत, निर्मल भगत, नरेश भगत शामिल थे. जो शहर के अलावे ग्रामीण क्षेत्र से आये हुए व्याहुत कलवार समाज से आते है. इसके बाद संध्या करीब आठ बजे से रात्रि भक्ति जागरण कार्यक्रम का भी आयोजित किया. इसमें बाहर से आये कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से लोगों को मंत्रमुग्ध किया. व्याहुत पंचायत समिति के कोषाध्यक्ष अशोक भगत ने बताया कि लगभग 17 वर्षों से बलभद्र पूजनोत्सव सह महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. कुछ सालो से भगवान बलभद्र जयंती भव्यता के साथ मनाया जा रहा है. शोभायात्रा में व्याहुत समाज के सैकड़ों महिला-पुरुष व बच्चे श्रद्धालु शामिल थे. कार्यक्रम को सफल बनाने में कमेटी के सभी पदाधिकारी व कार्यकारणी सदस्यों के अलावे समाज के लोगो का अहम योगदान है.

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