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बूढ़ा पहाड़ के बाद दौना-दुरूप बना नक्सलियों का नया ठिकाना

जिले से सीआरपीएफ की दो कंपनी के वापस जाने के बाद गतिविधि बढ़ी

लातेहार. जिले के नेतरहाट थाना क्षेत्र में माओवादियों ने शनिवार को दौना-दुरूप में दो मोबाइल टावर को क्षतिग्रस्त कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास किया है. लगातार दो साल तक चले कई ऑपरेशन के कारण माओवादियों को बूढ़ा पहाड़ छोड़ना पड़ा था. सुरक्षा बलों ने बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में अमन चैन बहाल करने में सफलता प्राप्त की थी, लेकिन दौना-दुरूप की घटना के बाद क्षेत्र में फिर से दहशत दिखने लगी है, क्योंकि लातेहार जिले से सीआरपीएफ की दो कंपनी को वापस बुला लिया गया है. सीआरपीएफ के जाते ही माओवादियों ने जिले में उत्पात मचाना शुरू कर दिया. 55 वर्ग किलोमीटर में फैले बूढ़ा पहाड़ की सीमा छत्तीसगढ, पलामू, गढ़वा और गुमला जिला से लगती है, जो घने जंगल से घिरा ऊंचाई वाला इलाका है. इसी का फायदा माओवादी उठाते थे, लेकिन सुरक्षा बलों की लगातार दबिश के कारण उन्हें बूढ़ा पहाड़ खाली करना पड़ा है. बूढ़ा पहाड़ को माओवादियों की राजधानी के रूप में जाना जात था. यहां कई शीर्ष नक्सली रह चुके हैं. बूढ़ा पहाड़ छोड़ने से माओवादियों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. सुरक्षा बलों द्वारा चलाये गये लगातार ऑपरेशन के कारण कई नक्सली मारे गये या कई ने सरेंडर कर दिया था. बूढ़ा पहाड़ के बाद माओवादियों ने नेतरहाट के इलाके में दौना-दुरूप को अपना नया पनाहगाह बनाया है. इसकी सीमा छत्तीसगढ़ से लगती है. 10 लाख रुपये का इनामी नक्सली छोटू खरवार इस इलाके में अपनी पैठ बना चुका है. इस क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या को दूर करने के लिए टावर लगाया जा रहा है, जिसे नक्सली किसी कीमत पर नहीं लगने देना चाहते हैं. यही कारण है कि टावर लगाने के कार्य को कई बार रोका और उसे क्षतिग्रस्त किया गया है.

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