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हिंदी भाषा के व्यवहार पर बल देने की आवश्यकता- सनोज

हिन्दी भाषा साहित्य परिषद के बैनर तले हिंदी दिवस के अवसर पर बीते शनिवार की शाम कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया.

हिन्दी का भविष्य और चुनौतियां को लेकर हुई विचार गोष्ठी, हिन्दी दिवस पर देर रात कवि सम्मेलन का हुआ समापन खगड़िया. हिन्दी भाषा साहित्य परिषद के बैनर तले हिंदी दिवस के अवसर पर बीते शनिवार की शाम कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिन्दी का भविष्य और चुनौतियां को लेकर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार चंद्रशेखरम् ने किया. मंच संचालन पूर्णिया के केके चौधरी ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. कपिल देव महतो ने भारतेंदु हरिश्चंद्र को याद करते हुए कहा कि हमारी भाषा समय के साथ सतत परिवर्तनशील है. यही कारण है कि यह निरंतर पुष्पित पल्लवित हो रही है. शंकरानंद ने कहा कि भाषा मनुष्य की अनिवार्य पूंजी है. भाषा के बिना उसका कोई अस्तित्व नहीं है. हिन्दी की विशेषता उसका लचीलापन है. रामकृष्ण आनंद ने कहा कि आज के भारत की जो दशा दिशा है, वहीं हिन्दी की भी दशा दिशा है. जैसे जैसे हमारा विकास होगा वैसे ही हमारी भाषा का भी विकास होगा. सनोज कुमार शर्मा ने कहा कि कार्यालयों में भी हिन्दी के व्यवहार पर बल देने की आवश्यकता है. सुभाष चंद्र जोशी ने कहा कि जिसके पास भाषा नहीं होगी, वह आसानी से गुलाम बन जाएगा. सुनील कुमार मिश्र ने कहा कि हिन्दी हमारी अस्मिता से जुड़ी भाषा है, इसलिए इसका भविष्य उज्ज्वल है. रिजवान अहमद ने कहा कि हिन्दी की जड़ें बहुत गहरी हैं. यही कारण है कि यह भाषा बहुत कोमल, मधुर और सहज ग्राह्य है. इसे सीखना बहुत कठिन नहीं है. यही कारण है कि दुनिया भर में इसके बोलने वाले बढ़ रहे हैं. विचार गोष्ठी के बाद कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. अर्णव आनंद ने इस आयोजन में पहली बार काव्य पाठ किया और सबने उसकी सराहना की. मौके पर शंकरानंद, उधव कुमार, संध्या किंकर, मनीष कुमार, सनोज कुमार शर्मा, शशि शेखर, पुष्पा कुमारी, राम सचित पासवान, सुनील कुमार मिश्र, रिजवान अहमद, चंपा राय, स्वराक्षी स्वरा आदि मौजूद थे. देर रात तक श्रोताओं ने वाहवाही की. धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संध्या किंकर ने आगत अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया.

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