प्रतिनिधि, जमालपुर. रेल इंजन कारखाना जमालपुर में सोमवार को धूमधाम और निष्ठा के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा होगी. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है. बताया जाता है कि कारखाना की स्थापना 1862 ईस्वी में होने के बाद से लगातार 16 सितंबर को ही यहां विश्वकर्मा पूजा की जाती है. जबकि अन्य क्षेत्रों में विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनायी जाती है. रेल इंजन कारखाना जमालपुर की स्थापना उस समय की गयी थी, जब देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी भाप इंजन का प्रचलन था. अब भाप इंजन इतिहास के पन्ने में सिमट कर रह गया है, लेकिन रेल इंजन कारखाना जमालपुर में नेचर ऑफ द वर्क बदल जाने के बावजूद कारखाना राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. क्योंकि भाप इंजन की समाप्ति के बाद डीजल इंजन का चलन आया और अब तो डीजल इंजन भी चलन से बाहर हो रहा है. ऐसे में जमालपुर कारखाना के रेल कर्मियों की उम्दा कारीगिरी और उनकी जिजीविषा ही इस रेल कारखाना को मुख्य धारा में बनाये रखा है, क्योंकि राजनीतिक संरक्षण की कमी और क्षेत्रियतावाद के कारण यह कारखाना अपेक्षित रहा है. एक समय तो ऐसा भी आया जब जमालपुर कारखाना को रेलवे का असेंबल सेंटर कहा जाने लगा था. यहां के कर्मचारियों ने दम लगाकर एक बार फिर कारखाना को रेलवे के राष्ट्रीय क्षितिज पर ला खड़ा किया है. बावजूद इसके यहां अब तक का सर्वाधिक 631 बैगन का प्रति महीना पीओएच किया जा रहा है. कारखाना में 140 टन क्रेन का निर्माण कर रेल जगत में अपनी धाक रेल इंजन कारखाना में काम करने वाले कारीगरों की जरूरत की छोटी-छोटी वस्तुओं का निर्माण भी इसी कारखाना में किया जाता था. जबकि अब समय बदल गया है और आउटसोर्सिंग का युग आ गया है. जो इस कारखाना को दिनों दिन कमजोर करते जा रहा है. बावजूद इस कारखाना में 140 टन क्रेन का निर्माण कर रेल जगत में अपनी धाक जमा रखी है. इतना ही नहीं प्राइवेट सेक्टर के बड़े-बड़े संस्थान भी जमालपुर कारखाना से ही 140 टन क्रेन की खरीदारी करते हैं. इसके अतिरिक्त जमालपुर कारखाना में निर्मित जमालपुर जैक रेलवे के लिए वरदान बनकर सामने आया है. अब तो कारखाना में इलेक्ट्रिक लोको के मेंटेनेंस की भी चर्चा चलने लगी है.
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