आरजी कर की घटना को लेकर मुखर हुआ अधिवक्ताओं का एक वर्ग कोलकाता. आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल की एक जूनियर महिला चिकित्सक से दुष्कर्म व हत्या मामले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने टाला थाने के प्रभारी (ओसी) अभिजीत मंडल को गिरफ्तार करने के अलावा मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष को शोन अरेस्ट किया है. दोनों को कड़ी सुरक्षा के बीच रविवार को सियालदह कोर्ट में पेश किया गया. हालांकि. कोर्ट परिसर में भी वकीलों के एक वर्ग ने उनके खिलाफ नारेबाजी की. दोनों के खिलाफ ‘चोर-चोर’ के नारे लगे. इतना ही नहीं, वकीलों ने अन्य अधिवक्ताओं से भी आरोपियों की ओर से पैरवी नहीं करने की अपील की. उनका कहना था कि आरजी कर अस्पताल में हुई जघन्य घटना के आरोपियों के पक्ष में किसी भी अधिवक्ता को पैरवी नहीं करनी चाहिए. हालांकि, अभिजीत के पक्ष से एक अधिवक्ता ने पैरवी की. सूत्रों के अनुसार इसका विरोध वकीलों के उस वर्ग ने किया और उन्हें ऐसा नहीं करने को कहा. हालांकि. न्यायाधीश के हस्तक्षेप के बाद सुनवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ी. सुनवाई के दौरान अभिजीत मंडल ने कोर्ट में अरेस्ट मेमो पर सवाल उठाते हुए कहा : मुझे छह बार नोटिस दिया गया. आखिरी बार 14 सितंबर को भेजा गया था. मुझे यह नहीं बताया गया कि मैं आरोपी हूं या गवाह. मैंने अपनी शारीरिक अस्वस्थता के बारे में बताया था. मैंने कई दस्तावेज भी दिये थे. वहीं, अभिजीत के वकील ने पूछा : मेरे मुवक्किल के पास गिरफ्तारी मेमो के बारे में एक सवाल है. वहां उनकी पत्नी या रिश्तेदारों के हस्ताक्षर नहीं हैं. अभिजीत के वकील ने सीबीआइ की गिरफ्तारी पर भी सवाल उठाये और अपने मुवक्किल को जमानत देने का आवेदन किया. इसके बाद सीबीआइ के अधिवक्ता ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी अभिजीत को मुख्य आरोपी के रूप में नहीं मान रही है, लेकिन उन्हें सबूतों से छेड़छाड़ व नष्ट करने तथा जांच प्रक्रिया देर से शुरू किये जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने आरोपियों को तीन दिनों की सीबीआइ हिरासत में रखे जाने का निर्देश दिया. अदालत से बाहर लाने के दौरान भी आरोपियों के खिलाफ नारेबाजी की गयी थी.
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