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कलाकारों के जीवन में आध्यात्मिकता जरूरी : एडीएम

नाट्य कला को लेकर कार्यशाला का आयोजन

लखीसराय.

समाहरणालय के समीप स्थित खेल भवन के प्रशाल में सोमवार को नाट्य कला की प्रस्तुति को लेकर संबंधित लोगों के साथ एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें कला एवं संस्कृति पदाधिकारी सह जिला खेल पदाधिकारी मृणाल रंजन द्वारा कला के संबंध में वृत्त चित्रण किया गया. इस एक दिवसीय नाट्य कार्यशाला में 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया. कार्यशाला का नेतृत्व बेगूसराय के जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी श्याम सहनी कर रहे थे. श्री सहनी राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय एनएसडी के अत्यंत प्रतिभावान पूर्व छात्र रहे हैं. कार्यशाला में प्रतिभागियों को रंगमंच की बुनियादी जानकारियों से परिचित कराया गया. श्री सहनी रंगमंच के विभिन्न पहलुओं जैसे थिएटर गेम्स, एकाग्रता के अभ्यास, कल्पना शक्ति, विश्राम, नवरस की अवधारणा और अभिनय की बारीकियों पर गहराई से चर्चा की. कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य प्रतिभागियों को थिएटर की तकनीकी और सृजनात्मकता से अवगत कराना था. कार्यशाला में अपर समाहर्ता सुधांशु शेखर भी उपस्थित थे, जिन्होंने अपने उद्बोधन में इस प्रकार के आयोजन की पहल करने के लिए कला संस्कृति पदाधिकारी मृणाल रंजन की सराहना की और सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि कलाकार के जीवन में आध्यात्मिकता का बहुत महत्व होता है, और यह उन्हें सृजनात्मकता की नयी ऊंचाइयों पर ले जाती है. अंत में उन्होंने श्याम सहनी को एक स्मृति चिह्न भेंट किया और उनकी कला की प्रशंसा करते हुए उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद दिया. उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से रंगमंच के प्रति नयी रूचि और उत्साह का संचार हुआ है, जिससे लखीसराय में कला और संस्कृति के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगेगी. प्रतिभागियों ने इस अनुभव को अत्यधिक प्रेरणादायक बताया और भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की मांग की.

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