बीरभूम.
बंगाल में कम दबाव के चलते बीते कुछ दिनों से लगातार बारिश हुई है, जिसके फलस्वरूप राज्य के कई जिलों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है. लगातार बारिश के कारण बीरभूम जिले के कई क्षेत्रों में कई कच्चे घर ढह गये हैं, जिले के तारापीठ में द्वारका नदी का जलस्तर बढ़ गया है. बांध से कई बार पानी छोड़े जाने से यह स्थिति बनी है. द्वारका नदी के पानी से तारापीठ का महाश्मशान घाट डूब गया है. वहीं, नदी के तटीय व आसपास के निचले क्षेत्र भी जलमग्न हो गये हैं. श्मशान घाट के कई हिस्सों में घुटनों तक पानी लग गया है. इससे साधु-संतों का सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. रहने का ठिकाना डूब जाने से साधक परेशान हैं. साधु-संतों को ही नहीं, बल्कि श्मशान घाट के व्यापारियों को भी काफी दिक्कतें हो रही हैं. दुकानें व व्यापारिक गतिविधियां लगभग ठप हैं. स्थानीय व्यापारी चिंतित हैं कि यदि द्वारका का जलस्तर और बढ़ा, तो सैलाब आ जायेगा और उनका व्यवसाय व आजीविका का स्रोत भी बंद हो जायेगा. द्वारका नदी के आसपास के क्षेत्र लोग भी चिंतित हैं. हालांकि स्थानीय कारोबारी समस्या से निकलने की कोशिश कर रहे हैं, पर हालात बिगड़ते जा रहे हैं. जिले के सिउड़ी ब्लॉक-02 पंचायत के अधीन गंगते व आसपास के कई गांवों में कमोबेश यही स्थिति है. उधर, बीरभूम में अजय नदी पर जयदेव का अस्थायी फेरीघाट फिर टूट कर पानी में बह गया है.इससे पहले मूसलाधार बारिश के चलते यहां नौका पलट गयी थी. इस फेरी के जरिये बीरभूम से कांकसा दुर्गापुर आदि क्षेत्रों में जाने के लिए शॉर्टकट अपनाया जाता है. जिले के मल्लारपुर थाना क्षेत्र के सौजे गांव के पास असितरंजन पुल भी पूरा डूब गया है. इसे लंबे समय से मयूरेश्वर व मल्लारपुर के बीच अहम सेतु के रूप में जाना जाता है. यह स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण पुल व सड़क है, जिससे सोजै ,पश्चिम रामचंद्रपुर, मुरुलडांगा और आसपास के गांवों के लोग सहज ही आवाजाही कर सकते थे. बीते शनिवार व रविवार को हुई भारी बारिश के बाद रविवार से पुल डूब गया.सोमवार सुबह भी पुल डूबा रहा. नदी के दोनों किनारों पर रहनेवालों को काफी असुविधा हो रही है. कई स्थानीय लोगों को मल्लारपुर व मयूरेश्वर के बीच आवाजाही करनी पड़ रही है. जिन लोगों को काम पर जाने अथवा, अन्य जरूरी कामों के लिए हर दिन यह पुल पार करना पड़ता है, वे अब परेशानी में हैं, वैकल्पिक सड़कों का उपयोग करने में उन्हें काफी अधिक समय व पैसा खर्चना पड़ता है. सोमवार सुबह 9:00 बजे तक स्थानीय प्रशासन ने भी पुष्टि कर दी कि पुल डूब गया है. हालांकि स्थिति पर काबू पाने को अभी तक ठोस कदम नहीं उठाया गया है, मगर स्थिति पर प्रशासन की बराबर नजर है. अनहोनी से बचने के लिए पुल से यातायात रोक दिया गया है. उम्मीद है कि द्वारका नदी का जलस्तर घटने के बाद स्थिति सामान्य होगी.
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