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डिजिटल अरेस्ट कर लखनऊ की डॉक्टर से ठग लिया ~2.81 करोड़

भिट्ठा थाना क्षेत्र के श्रीखंडी भिट्ठा गांव से यूपी पुलिस व खुफिया एजेंसी ने छापेमारी में शनिवार की देर रात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपराधिक घटना को अंजाम देने के मामले में रिषिकेश साह उर्फ सोनू साह को गिरफ्तार किया है.

अमिताभ कुमार, सीतामढ़ी भिट्ठा थाना क्षेत्र के श्रीखंडी भिट्ठा गांव से यूपी पुलिस व खुफिया एजेंसी ने छापेमारी में शनिवार की देर रात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपराधिक घटना को अंजाम देने के मामले में रिषिकेश साह उर्फ सोनू साह को गिरफ्तार किया है. टीम ने सोनू के पिता मोहन साह को हिरासत में ले लिया था. सोनू की गिरफ्तारी के बाद जांच में जो सच सामने आया है, वह सनसनी फैलाने वाला है. पता चला है कि सोनू का तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपराध व देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले संगठन से जुड़ा है. एक ऐसा संगठन जो इंटरनेट की काली व खतरनाक दुनिया के सबसे बदनाम नाम डार्क वेब का इस्तेमाल कर रहा था. हालांकि इसकी अधिकारिक पुष्टी नहीं हुई है. –क्रिमिनल व टेरेरिस्ट करते हैं इस्तेमाल डार्क वेब तकनीक का इस्तेमाल क्रिमिनल, टेररिस्ट, टॉप सिक्रेट एजेंट, हाई सिक्यूरिटी वाले लोग करते हैं. पुलिस सूत्रों पर भरोसा करें तो डार्क वेब का इस्तेमाल कर सोनू के खाते से पाकिस्तान व नेपाल समेत दूसरे देशों में करोड़ों रुपये भेजे गये हैं. यह राशि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से भेजी गयी है, ताकि रुपया ट्रैक न हो सके. –खुद जज बनकर करता था सुनवाई सोनू को यूपी के लखनऊ में एक महिला डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर 2.81 करोड़ रुपये ठगने के मामले में भी गिरफ्तार किया गया है. महिला ने बताया था कि अपने आप को साइबर क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हुए एक व्यक्ति ने कहा कि वह मुंबई से बोल रहे है. आपके मोबाइल नंबरों के खिलाफ कई केस दर्ज है. आपके खाते से सात करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग भी हुई है. हम आपको डिजिटल अरेस्ट करते हैं. अगर आपने यह बात किसी को कही तो तीन से पांच साल तक की अतिरिक्त सजा मिलेगी. वीसी के माध्यम से सात दिन चलाया कोर्ट उसने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सात दिन तक कोर्ट चलाया. कोर्ट देखने में सामान्य था. जज, सीबीआई व वकील सभी होते थे. वे अपनी आइडी भी दिखाते थे, शक की कोई गुंजाइश नहीं थी. एक सप्ताह की अदालती सुनवाई के बाद जज का रूप बनाकर सुनवाई कर रहे व्यक्ति ने कहा कि आपको अपनी सारी राशि वेरिफिकेशन के लिए सरकारी खाते में डालना होगा. फिर उन्होंने 2.81 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिया. क्या है डार्क वेब डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वो हिस्सा है, जहां तक सर्च इंजन नहीं पहुंचता है. इन्हें स्पेशल वेब ब्राउजर से एक्सेस किया जा सकता है. जिस तरह समुद्र की सतह व पानी के नीचे कुछ हिस्से तक हमारी पहुंच होती हैं, लेकिन एक हिस्सा ऐसा भी है जहां कोई नहीं पहुंचा. डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वही हिस्सा है. इस हिस्से तक बहुत कम लोगों की पहुंच है. डार्क वेब से कई अवैध काम होते हैं. साइबर वर्ल्ड की ये दुनिया अवैध कामों का ठिकाना माना जाता है.

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