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सांसद जी, 100 बेड का सीसी अस्पताल हाथ से निकल न जाये, ध्यान दें

Jamshedpur News : केंद्र सरकार की योजना अंतर्गत शहर में प्रस्तावित 100 बेड के क्रिटिकल केयर ब्लॉक अस्पताल की स्थिति दयनीय है. प्रोजेक्ट के लिए जरूरी 2.50 एकड़ जमीन के अभाव में योजना हाथ से निकल सकती है.

प्रोजेक्ट के लिए 2.50 एकड़ जमीन और एनओसी देने का पत्र ऑफिसों का लगा रहा चक्कर

सात महीने से लटका है मामला

केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली राशि भी लौट सकती है

Jamshedpur News :

केंद्र सरकार की योजना अंतर्गत शहर में प्रस्तावित 100 बेड के क्रिटिकल केयर ब्लॉक अस्पताल की स्थिति दयनीय है. प्रोजेक्ट के लिए जरूरी 2.50 एकड़ जमीन के अभाव में योजना हाथ से निकल सकती है. केंद्र सरकार से इस मद से मिलने वाली राशि भी लौट सकती है. जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो इस पर ध्यान दें, नहीं तो योजना हाथ से निकल जायेगी. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 100 बेड के क्रिटिकल केयर ब्लॉक अस्पताल के लिए 2.5 एकड़ जमीन ढूंढ़कर एनओसी देने का पत्र ऑफिस-ऑफिस घूम रहा है, लेकिन जमीन नहीं मिलने के कारण धरातल पर योजना की प्रगति शून्य है. इस साल अंतिम बार 29 फरवरी 2024 को स्वास्थ्य विभाग के सिविल सर्जन ने टाटा स्टील लैंड डिपार्टमेंट के हेड को पत्र लिखा था, लेकिन टाटा स्टील न 2.5 एकड़ जमीन और न एनओसी दे पायी.

क्या है मामला

पूर्वी सिंहभूम में 100 बेड का क्रिटिकल केयर ब्लॉक अस्पताल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अनुरोध पर टाटा स्टील लैंड डिपार्टमेंट ने एमजीएम कॉलेज एवं अस्पताल के समीप जमीन चिह्नित की थी, एपेक्स अस्पताल के समीप चिह्नित जमीन दलदली होने के कारण कार्यकारी एजेंसी ने उक्त भूमि को कार्य करने योग्य नहीं बताते हुए अस्वीकृत कर दिया था. इसके बाद टाटा स्टील लैंड डिपार्टमेंट ने जेएनएसी के वार्ड नंबर 2, खाता नंबर 1217, प्लाॅट नंबर 4 पी, 66 पी, 67 पी,68पी, 70 पी, 71 पी कुल 2.50 एकड़ जमीन चिह्नित कर एनओसी दिया था. लेकिन बाद में उक्त भूमि पर सोमेन महतो ने दावा करते हुए कोर्ट में टाइटल सूट (केस संख्या 66, 2022) किया, जो कोर्ट में लंबित है. नव चयनित जमीन 7 किलोमीटर दूर है. जबकि क्रिटिकल केयर ब्लॉक अस्पताल के लिए साकची एमजीएम अस्पताल के एक किलोमीटर की परिधि में होना चाहिए. सिविल सर्जन ने टाटा स्टील लैंड हेड से अनुरोध किया है कि एनओसी के साथ 2.50 एकड़ भूमि जल्द दिया जाये. लेकिन जमीन व एनओसी नहीं मिलने के कारण सात माह बाद यानी 16 सितंबर 2024 को भी स्थिति जस की तस बनी हुई है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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