वेतनवृद्धि पर रोक व निंदन की सजा से अधिकतर कर्मियों को मिल जाती है छूट
संवाददाता,पटना
राज्य सरकार के अधिकारियों पर काम में कोताही, भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे पर उनकी जांच करने वाला सरकारी विभाग ऐसे अधिकारियों की गलती साबित नहीं कर पाता. लिहाजा आरोपित अधिकारी अपने ऊपर लगे आरोपों से बरी हो जा रहे या फिर मामूली -सी सजा उन्हें मुकर्रर हो रही. बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ताराचंद महतो वियोगी और वकील प्रसाद को कार्य में लापरवाही के आरोप में वेतनवृद्धि पर रोक और निंदन की सजा,सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दी गयी थी. श्री वियोगी पर कैमूर के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी रहते हुए एक बार भी अल्पावास गृह का एक बार भी निरीक्षण,पर्यवक्षेण और समीक्षा नहीं करने और वकील प्रसाद पर धान अधिप्राप्ति में लापरवाही करने करने का आरोप था.विभाग द्वारा सजा के बारे में दी गयी दलील हाइकोर्ट और जांच आयुक्त के सामने में टिक नहीं पायी.दोनों अधिकारी दोषमुक्त हो गये.यह तो बानगी भर है.पिछले साल सामान्य प्रशासन विभाग ने करीब दो दर्जन अधिकारियों पर कार्य में लापरवाही के आरोप में यह सजा दी गयी थी.इनमें से अधिकतर को अंतत:सजा से छूट मिल जाती है.
कोर्ट में मामला नहीं टिकने का कारण
दरअसल, विभागों द्वारा कर्मियों के निलंबन और कार्रवाई के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है, जबकि सामान्य प्रशासन ने अपने निर्देश में स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों और अधिकारियों पर किसी भी तरह की कार्रवाई के पहले पूरी निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए,ताकि कोर्ट में मामला टिक सके और विभाग को शर्मिंदगी नहीं झेलनी पड़े.
विधानसभा की प्रत्यायुक्त समिति में भी उठाया गया था यह मुद्दा: राज्यकर्मियों के निलंबन और सजा की बात विधानसभा की प्रत्यायुक्त समिति ने भी उठाया गया था. दरसअल,बिहार सरकार के कर्मचारियों के निलंबन, आरोपपत्र का गठन तथा अनुशासनिक कार्रवाई के ससमय संचालन की विस्तृत समीक्षा विधानसभा की प्रत्यायुक्त विधान समिति द्वारा की गयी थी. समिति ने सामान्य प्रशासन विभाग को इसको लेकर कई अनुशंसाएं कीं, जिसमें प्रपत्र-क गठित करने से पहले विहित प्रक्रिया का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा गया है. एक अप्रैल, 2022 से 31 जुलाई, 2023 के बीच 33 विभागों में निर्धारित अवधि- से- अधिक समय से निलंबित कर्मियों की संख्या 362 थी.वहींं,विभागों में 154 कर्मियों के विरुद्ध प्रपत्र क गठित था, लेकिन अंतत: इसमें से अधिकतर को कोर्ट से राहत मिल जाती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है