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Vishwakarma Puja 2024 : झारखंड के ये कारीगर अपनी कारीगरी से लोगों को किया कायल, पढ़ें इनके संघर्ष की कहानी

Vishwakarma Puja 2024: रांची के कुछ कुछ ऐसे कारीगर जिन्होंने अपनी कारीगरी से लोगों के बीच एक खास पहचान बनायी है. स्वचालित बीज बुआई मशीन ऐसी ही कारीगरी का शानदार नमूना है. जिन्हें भारत सरकार ने भी सराहना की है.

Vishwakarma Puja 2024, रांची : आज विश्वकर्मा पूजा है. भगवान विश्वकर्मा सृजन के देवता हैं, शिल्प और श्रम के देवता हैं. इन्हें दुनिया के पहले इंजीनियर के रूप में जाना जाता है. सदियां बीत गयीं, लेकिन सृजन का वह सिलसिला, जिसे भगवान विश्वकर्मा ने शुरू किया था, आज भी जारी है. करोड़ों लोग सृजन के कार्य में लगे हैं और अपने हुनर से देश-दुनिया को खुशहाल बना रहे हैं. बड़े-बड़े कारखानों से लेकर छोटे-छोटे कल-कारखानों और यहां तक कि गांव-शहर की पगडंडियों और दुकानों में यह अपना योगदान दे रहे हैं.

जहां सर्विस सेंटर की ना, वहां चंदू मिस्त्री की हां

शहर के टीवी मैकेनिक चंद्रदेव प्रसाद (चंदू मैकेनिक) मूल रूप से गया के शेरघाटी के रहने वाले हैं. परिवार की जिम्मेदारियां उठाने के लिए इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों की रिपेयरिंग की दुकान खोली और धीरे-धीरे दुकान में जटिल उपकरण भी मरम्मत के लिए आने लगे. एचडी स्मार्ट टीवी हो या फुल एचडी फोर के रिजॉल्यूशन वाला सेट हो या फिर ओल्ड स्क्रीन डिस्प्लेवाला छोटा टीवी हो, चंद्रदेव प्रसाद या चंदू जी सबको आसानी से दुरुस्त कर सकते हैं. इनके हुनर की कोई कल्पना नहीं कर सकता. जो टेलीविजन सेट बड़े-बड़े सर्विस सेंटर के इंजीनियर और टेक्नीशियन नहीं ठीक कर पाये, उसे चंदू जी कुछ मिनटों में दुरुस्त कर देते हैं. अपनी इसी काबिलियत के दम पर आम मैकेनिक्स के बीच इनकी पहचान बिरसा चौक वाले चंदू दादा के तौर पर बनी हुई है.

मनोज ने दो करोड़ की पोर्शे ठीक कर दिखायी काबिलियत

खेलगांव लालगंज मोहल्ले में रहनेवाले और थड़पखना में एक छोटी सी गैराज चलानेवाले मनोज कुमार का जीवन भी संघर्षों से भरा है. डालटेनगंज के लेस्लीगंज स्कूल से उन्होंने जैसे-तैसे अपनी हाइस्कूल की पढ़ाई पूरी की. परिवार की आर्थिक हालत और जिम्मेदारियों ने उन्हें इस हुनर से जोड़ दिया. वह आज महंगी लग्जरी गाड़ियों के इलेक्ट्रिकल फिटिंग्स-वायरिंग और एसी इंस्टॉलेशन से लेकर मैकेनिकल सिस्टम के माहिर हैं. जब एक रात पोर्श गाड़ी के मालिक अपनी कार को लेकर उनके पास आये, तो उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि मनोज उसे पलक झपकते ठीक कर देंगे. दिल्ली और कोलकाता में प्रशिक्षण लिया, फिर बाद में कडरू इलाके के उनके गुरु और बड़े भाई सलमान ने उन्हें वाहनों के अलग-अलग कलपुर्जों की जानकारी दी. धीरे-धीरे इंजन बनाने का काम सिखाया. आखिरकार यही रोजगार बन गया. अब गाड़ी खोलने से लेकर पूरी फिटिंग तक करते हैं.

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संदीप के पास महंगे फोन और गैजेट्स को ठीक करने का हुनर

इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स रोज की जिंदगी का हिस्सा बन गये हैं. लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम करनेवालों की परेशानी खत्म करने से लेकर किसी महंगे फोन्स और गैजेट की परेशानी को दूर करना संदीप के लिए आसान काम है. संदीप पुरुलिया रोड में मोबाइल एरिना के नाम से एक्सेसरीज व स्मार्ट फोन-गैजेट्स रिपयेरिंग का कारोबार करते हैं. वह दुकान के साथ पढ़ाई भी करते हैं. संदीप कहते हैं कि रोजाना हमारे पास कई लोगों के फोन आते हैं. किसी को स्मार्ट फोन में सॉफ्टवेयर में खराबी होती है, तो किसी को अन्य परेशानी. रोजमर्रा के इस्तेमाल में काम आने वाले सामान जैसे मोबाइल चार्जर, हेडफोन, डेटाकार्ड इत्यादि की सर्विस में आज वह माहिर हैं.

झारखंड में बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर नजर रखती हैं इंजीनियर अनुपम अंजलि

रांची निवासी अनुपम अंजलि जेबीवीएनएल में बतौर विद्युत कार्यपालक अभियंता (आपूर्ति एवं वितरण) अपनी सेवा दे रही हैं. इनके जिम्मे विभाग में पूरे साल भर की कार्ययोजना तैयार करना और उसकी कार्यप्रगति की मॉनिटरिंग करना है. जेबीवीएनएल के इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कार्यों को देखना मुख्य कार्य है. साथ ही पूरे झारखंड राज्य में कहां कितनी बिजली मिल पा रही है, इसकी मॉनिटरिंग करने का भी दायित्व है. राज्य में बिजली की मॉनिटरिंग का जिम्मा इनके हाथों है. जिसे यह बखूबी संभाल भी रही हैं. बिजली आपूर्ति में कोई समस्या हो, तो उसके समाधान में अपना योगदान दे रहीं हैं. ये विभाग के हेडक्वार्टर धुर्वा में पदस्थापित हैं. राजधानी में बेहतर बिजली आपूर्ति के साथ समस्याओं के तत्काल निवारण के लिए सदैव प्रयासरत रहती हैं. इस क्षेत्र में 2012 से अपनी सेवा दे रही हैं. अनुपम कहती हैं- आज के जमाने में लड़कियां हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं. इस क्षेत्र में भी लड़कियों के लिए कई अवसर हैं. लड़कियों को इस क्षेत्र में बढ़-चढ़कर सामने आना चाहिए. अनुपम ने केंद्रीय विद्यालय, रामगढ़ से दसवीं की पढ़ाई पूरी की है. वहीं डीएवी श्यामली से बारहवीं की पढ़ाई की. फिर बीआइटी सिंदरी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की है.

पॉलिटेक्निक के छात्रों ने सौर ऊर्जा से संचालित बीज बुआई मशीन बनायी

यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक बीआइटी मेसरा के छात्रों ने सौर ऊर्जा से चलनेवाली स्वचालित बीज बुआई मशीन तैयार की है. इसकी उपयोगिता को देखते हुए प्रोजेक्ट की सराहना कृषि मंत्रालय भारत सरकार ने भी की. स्वचालित बीज बोने की मशीन खेत के पूरे क्षेत्र में समानांतर पंक्तियों में बीज बोने में सक्षम है. जमीन पर आगे बढ़ने के क्रम में मशीन जमीन को खोदेगी और बीज बोयेगी. इससे रोपण में लगनेवाला समय काफी हद तक कम होगा. साथ ही किसान को अतिरिक्त व्यक्ति की मदद नहीं लेनी पड़ेगी. मशीन खेत में विभिन्न किस्म की बीज बोने की क्षमता रखता है. मशीन लगातार बोये जाने वाले बीजों में अंतर रखेगी, जिससे एक ही जगह पर ज्यादा बीज न गिर जाये. पहियों के सहारे इस मशीन को खेत में चलाना आसान है. बुआई मशीन बैटरी से डीसी मोटर को नियंत्रित करेगी और बैटरी सौर ऊर्जा से चार्ज होगी. इस मशीन का उद्देश्य पारंपरिक कृषि मशीनरी में बदलाव करना है. साथ ही वित्तीय संसाधनों की कमी वाले किसानों एक निश्चित समाधान है. मशीन को किसान अपने माेबाइल फोन से ऑपरेट कर सकेंगे. मशीन का निर्माण पॉलिटेक्निक के छात्र प्रिंस कुमार यादव, रंजीत कुमार, अजय मुंडा, अनुराग सिन्हा, मोहन कुमार टुडू, अभय प्रजापति, सूरज कुमार मुंडा और अशोक कुमार ने प्रोजेक्ट हेड प्रभात रंजन महतो के मार्गदर्शन में तैयार किया. संस्था में आयोजित तकनीकी उत्सव अन्वेषण में ”बीज बुआई मशीन” को निदेशक डॉ विनय शर्मा ने सम्मानित किया था.

सभी को शुद्ध पेयजल पहुंचाना ही लक्ष्य : रेयाज

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधीक्षण अभियंता रेयाज आलम कहते हैं कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई जनसेवा के काम आ रही है. वाटर सप्लाई स्कीम बनाना और लोगों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना ही हमारा काम है. हर घर तक नल से जल पहुंचाना लक्ष्य है. झारखंड में 62 लाख घरों तक पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति करना है. इसका 50 प्रतिशत काम पूरा हो गया है. कई जगहों पर दिक्कत भी होती है. जहां पानी के स्रोत की कमी होती है, वहां छोटी येाजनाओं से पानी उपलब्ध कराया जाता है. कई जगहों पर पानी नहीं मिलता है. ड्राइ एरिया है. बड़ी योजनाओं में जमीन की समस्या आती है. सभी तक शुद्ध जल पहुंचाने में परेशानी तो बहुत होती है, लेकिन लगन और मेहनत से रास्ता निकल ही जाता है.

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