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Respiratory Problems : बुजुर्गों में तेजी से बढ़ रही है सांस संबंधी बीमारियाँ ? जानिए कैसे करें देखभाल

Respiratory Problems : आधुनिक समय में बुजुर्गों को सांस की बीमारियां काफी ज्यादा प्रभावित कर रही है. वैसे तो उम्र बढ़ने पर कई सारी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है

Respiratory Problems : आधुनिक समय में बुजुर्गों को सांस की बीमारियां काफी ज्यादा प्रभावित कर रही है. वैसे तो उम्र बढ़ने पर कई सारी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है जैसे ब्लड प्रेशर, मधुमेह, हृदय रोग, हड्डियों की समस्याएं, आदि.

लेकिन बुढ़ापे में सांस संबंधी समस्याएं काफी आम हो गई हैं, इसके कुछ लक्षण है सांस फूलना, सांस लेने में परेशानी होना और फेफड़ों के इंफेक्शन आदि. बढ़ती उम्र, पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण और मौसम में उतार-चढ़ाव की वजह से बुजुर्गों इस तरह की समस्याएं होने लगते हैं.

Respiratory Problems : सांस की समस्याएं होने पर क्या करें?

  • सबसे पहले तो इन्फ्लूएंजा और निमोनिया के तक जरूर लगाए आम इन्फेक्शन और बीमारी को रोकने के लिए इंडिगो को लगवाना बेहद जरूरी होता है.
  • बुजुर्गों के आसपास की जगह साफ सुथरी रखनी चाहिए ध्यान रखें की उनके आसपास धूल मिट्टी और प्रदूषण काम हो क्योंकि इनकी वजह से सांस की इन्फेक्शन बढ़ते हैं.
  • बुजुर्गों में इम्यूनिटी काफी लोग होती है और उनका रोग प्रतिरोधक क्षमता जवान लोगों से कम होती है इसलिए उन्हें साथ संबंधी समस्याएं जल्दी अपना शिकार बनती हैं इससे बचने के लिए उन्हें अधिक तक देखभाल की आवश्यकता होती है.
  • बुजुर्गों के लिए एंटीऑक्सीडेंट विटामिन डी सी और ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर डायट बेहद जरूरी होती है अच्छी डाइट लेने से उनका इम्यून सिस्टम बेहतर होता है जो उन्हें संक्रमण से लड़ने की शक्ति देता है.
  • बारिश के मौसम में या भीड़भाड़ वाली जगह पर बुजुर्गों को बिना मास्क लगाए नहीं जाने देना चाहिए क्योंकि इससे भी इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है.
  • ध्यान रखें कि बुजुर्गों को खाना खाने से पहले हाथ धुलवा देना चाहिए, इसके अतिरिक्त आपको भी गंदे हाथों से उन्हें कोई भी खाने की वस्तु नहीं देनी चाहिए.

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  • बुजुर्गों को धूम्रपान नहीं करना चाहिए और धुएं वाली जगह से दूर रहना चाहिए.
  • बुजुर्ग हो या किसी भी उम्र का व्यक्ति हो हाइड्रेशन सबके लिए बराबरी से जरूरी होता है इसीलिए पानी का संतुलित मात्रा में पीना चाहिए.
  • बुजुर्गों को अपनी क्षमता के अनुसार ही शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए ऐसा करने से फेफड़े के स्वास्थ्य में सुधार होता है.
  • इसके अतिरिक्त नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच करते रहना चाहिए इससे किसी भी तरह के संक्रमण और बीमारी के बारे में समय से पता चल जाता है जिससे उसका इलाज करना आसान होता है.

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