Pitru Paksha: पितृपक्ष, जिसे शारदीय पितृपक्ष भी कहा जाता है, हिन्दू कैलेंडर का एक विशेष समय है जो अपने पूर्वजों की पूजा और उनकी आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है. इस साल, पितृपक्ष 18 सितंबर 2024 को शुरू हो रहा है और 2 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगा. इस समय को सही दिशा में पितरों की तस्वीरें लगाने और पूजा विधियों को अपनाकर, आप इस पवित्र समय को अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं.
तस्वीरों का स्थान
पितरों की तस्वीरें उत्तर-पूर्वी दिशा में लगाना आदर्श माना जाता है. यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है और पूजा के लिए शुभ मानी जाती है. दक्षिण दिशा में तस्वीरें न लगाएं क्योंकि इसे नकारात्मक ऊर्जा से जोड़ा जाता है.
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तस्वीरों की सफाई
पितरों की तस्वीरें हमेशा स्वच्छ और धूल-मिट्टी रहित होनी चाहिए. पूजा से पहले उनकी अच्छी तरह से सफाई करें ताकि वे साफ-सुथरी और सम्मानजनक दिखें.
स्वच्छता
पूजा से पहले हाथ और पैर धोएं और स्वच्छ वस्त्र पहनें. यह पूजा की विधि की पहली और महत्वपूर्ण शर्त है.
पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा
पूजा स्थल को पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भरा होना चाहिए. उत्तर-पूर्वी दिशा का चयन आदर्श माना जाता है
तस्वीरों की दिशा
तस्वीरों को उत्तर या पूर्वी दीवार पर लगाना चाहिए. इससे ऊर्जा का प्रवाह सही दिशा में होता है और पूजा अधिक प्रभावी होती है.
पंचांग देखना
सही दिन और समय की पहचान के लिए पंचांग का उपयोग करें. यह सुनिश्चित करता है कि आप पूजा के लिए सही समय पर हों.
सफाई और नियमितता
पितृपक्ष के दौरान घर की सफाई और नियमितता भी महत्वपूर्ण है. इसे नियमित रूप से साफ रखें ताकि पूजा स्थल पवित्र बना रहे.
अर्पण और भोग
पूजा के दौरान ताजे फल, मिठाई, और विशेष भोजन अर्पित करें. यह भोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण होता है.
धूप और दीप
पूजा के दौरान धूप और दीपक जलाएं. यह वातावरण को शुद्ध करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है.