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दुर्गापुर में बुद्ध विहार के पंडाल में मिलेगी मां के जीवन की झलक

एक मां जो अपने बच्चे की परवरिश में सारी जिंदगी खपा देती है. उसी मां का बुढ़ापा वृद्धाश्रम में बीतने लगा है. ऐसी माताओं के बच्चों को सीख या सबक देने के उद्देश्य से इस बार दुर्गापुर के सी -जोन स्थित बुद्ध विहार पूजा कमेटी की ओर से ‘इति तोमर मां’ के तर्ज पर पंडाल बना रही है.

दुर्गापुर.

एक मां जो अपने बच्चे की परवरिश में सारी जिंदगी खपा देती है. उसी मां का बुढ़ापा वृद्धाश्रम में बीतने लगा है. ऐसी माताओं के बच्चों को सीख या सबक देने के उद्देश्य से इस बार दुर्गापुर के सी -जोन स्थित बुद्ध विहार पूजा कमेटी की ओर से ‘इति तोमर मां’ के तर्ज पर पंडाल बना रही है. इसके जरिये समाज के उन लोगों को संदेश दिया जायेगा, जो अपनी मां को जीवन के अंत समय में वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं. पंडाल में इस बार मिट्टी के मॉडल के साथ सजावट की जायेगी.

जहां मां के रूप में दुर्गा प्रतिमा के साथ मां के गर्भ में पल रहे बच्चे के जीवन-चक्र और असल मां के जीवन को दर्शाया जायेगा. इसके लिए लगभग 100 मिट्टी के मॉडल का इस्तेमाल किया जा रहा है. मिट्टी के मॉडल में मां के गर्भ में बच्चे के जीवन से लेकर मां के जीवन के इतिहास की असल तस्वीर उकेरने की कोशिश की जायेगी. वहीं, आज के दौर में मां के आखिरी दिन वृद्धाश्रम में क्यों गुजरेंगे, इसे लेकर नयी पीढ़ी को झकझोरने का प्रयास किया जायेगा. पूजा आयोजकों का दावा है कि इस बार का पूजा थीम नयी पीढ़ी के बच्चों को अपनी मां की उपेक्षा नहीं करने का सबक देगा. उम्मीद है कि इस बार का थीम आगंतुकों को आकर्षित करेगा. कमेटी के सचिव सौगत बनर्जी ने बताया कि इस वर्ष सार्वजनिक दुर्गोत्सव का 34वां वर्ष है. पूजा कमेटी अलहदा थीम के जरिये आगंतुकों का ध्यान खींचती रही है. दुर्गापुर में बड़े बजट की पूजा में शामिल इस कमेटी को कई पुरस्कार मिल चुके हैं.

उन्होंने आगे कहा कि स्वस्थ व सुंदर समाज बनाने के ध्येय को ध्यान रख कर पूजा मंडप सजाया जाता है. बीते वर्ष लोकनृत्य छउ पर केंद्रित छउरूपिणी जगत जननी मां के थीम पर पंडाल बनाया गया था. इस वर्ष मातृ रूपा की मूर्ति बनायी जा रही है. इसका निर्माण कृष्णनगर के राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कुम्हार कर रहे हैं. इसके अलावा नदिया जिले के पाटुली में गर्भवती व बूढ़ी महिलाओं के लगभग 100 मिट्टी के मॉडल गढ़े जा रहे हैं. मंडप की साज-सज्जा के लिए प्लाइवुड, प्लास्टर ऑफ पेरिस, लोहे की छड़, रबड़ पाइप समेत विभिन्न सामग्रियों का उपयोग किया जा रहा है. मंडप को पुराने घर की शैली में सजाया जा रहा है. मंडप के अंदर एक नर्सिंग होम भी होगा.

मंडप आधुनिक प्रकाश से सुसज्जित होगा. इस वर्ष पूजा का बजट करीब 20 लाख रुपये है. समिति सदस्य हेमंत घोष ने बताया कि इस बार शारदीय नवरात्र की तृतीया को मां दुर्गा के पंडाल का उद्घाटन होगा. एकादशी तक हर दिन मंडप चौराहे पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. समिति के अन्य सदस्य धृति बंद्योपाध्याय (जालान) ने बताया कि पूजा के आयोजन में इलाके की लगभग 50 महिलाएं मुख्य रूप से शामिल होंगी. उम्मीद है कि इस वर्ष पूजा का थीम वर्तमान समाज को शैक्षिक संदेश देगा.

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