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संजीव झा, भागलपुर. पिछले कुछ महीने से बिहार कैथी लिपि पढ़ने वालों की तलाश कर रहा है. सौभाग्यवश कोई मिलता है, तो लोगों को लिपि पढ़वाने का शुल्क देना पड़ रहा है. इसकी वजह भी है. राज्य में भूमि का विशेष सर्वेक्षण चल रहा है. उस भूमि का सर्वेक्षण मुश्किल हो गया है, जिसका खतियान कैथी लिपि में लिखा है. इसे न तो अधिकारी या कर्मचारी पढ़ पा रहे हैं और न ही जमीन मालिक. ऐसी विषम परिस्थिति को भांपते हुए बिहार का इकलौता संस्थान के रूप में तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पीजी मैथिली विभाग ने वर्ष 2023 में ही कैथी लिपि का प्रशिक्षण ऑनलाइन देना शुरू किया. विश्वविद्यालय की ओर से मदद सिर्फ इतनी मिली कि इसके विद्वत परिषद ने इस कोर्स को चलाने की स्वीकृति दी. कोर्स चलाने के लिए छात्रों से 500 रुपये महीने लिये जाते हैं. इस रकम से दो प्रशिक्षकों को महज 250 रुपये प्रति क्लास की दर से भुगतान किया जाता है. राज्य सरकार या विवि की ओर से इस कोर्स को आर्थिक सहायता मिले, तो टीएमबीयू इसकी पढ़ाई के लिए नजीर साबित होगा.
गेस्ट टीचर को 1500, कैथी लिपि प्रशिक्षक को 250
टीएमबीयू में गेस्ट टीचर को 1500 रुपये प्रति क्लास की दर से भुगतान किया जाता है. वहीं जिस लिपि को पढ़ाने वाले शिक्षकों का घोर अभाव है, उन्हें इसी विवि में 250 रुपये प्रति क्लास की दर से भुगतान किया जाता है. इसका प्रशिक्षण महीने में लगभग आठ दिन ही दिया जाता है.
नेपाल, डीयू से भी जुड़े हैं छात्र
कैथी लिपि के छह महीने के सर्टिफिकेट कोर्स का टीएमबीयू में ऑनलाइन नामांकन व प्रशिक्षण होता है. परीक्षा भी ऑनलाइन ही होती है. वर्ष 2023 में 22 विद्यार्थी अच्छे ग्रेड से उत्तीर्ण हुए थे. वर्तमान में 40 सीट में 30 विद्यार्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. इसमें नेपाल से दो, दिल्ली विवि से दो, बिहार से शिक्षक, कर्मचारी और बहुत कम संख्या में छात्र भी हैं. रजिस्ट्रेशन 100 रुपये और शुल्क 500 रुपये प्रतिमाह है. बीएचयू के रिसर्च स्कॉलर प्रवीण कुमार व पटना आर्ट्स कॉलेज के शिक्षक जयंत कुमार प्रशिक्षण दे रहे हैं.
कोट
टीएमबीयू के कुलपति प्रो जवाहरलाल ने कैथी लिपि कोर्स की स्वीकृति देकर बड़ा काम किया है. कोर्स को आर्थिक सहायता मिले, तो इसका स्वरूप व्यापक हो सकता है. दोनों प्रशिक्षकों के योगदान को देख हम उनके आभारी हैं. हम तो प्रशिक्षकों चाय पीने तक का ही पैसा दे पा रहे हैं. हमारा संस्थान कैथी लिपि में प्रशिक्षित छात्र तैयार कर रहे हैं, यह गौरव की बात है.
डॉ रामसेवक सिंह, विभागाध्यक्ष, पीजी मैथिली, टीएमबीयू