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चाइनीज कंपनी के माध्यम से अवैध रूप से होता था कॉल डायवर्ट, चार गिरफ्तार

आसनसोल साउथ थाना क्षेत्र के बराचक इलाके में किराये के एक घर में लंबे समय से चल रहे एक कॉल सेंटर में साइबर क्राइम थाना की पुलिस ने छापेमारी कर संचालक सुभाष साहू, शशि साहू, उमेश साहू और प्रतिमा वर्मा नामक आरोपियों को गिरफ्तार किया.

आसनसोल.

आसनसोल साउथ थाना क्षेत्र के बराचक इलाके में किराये के एक घर में लंबे समय से चल रहे एक कॉल सेंटर में साइबर क्राइम थाना की पुलिस ने छापेमारी कर संचालक सुभाष साहू, शशि साहू, उमेश साहू और प्रतिमा वर्मा नामक आरोपियों को गिरफ्तार किया. इनमें से तीन मूल रूप से पुरुलिया के और एक हीरापुर थाना क्षेत्र इलाके के निवासी हैं. कॉल सेंटर से 25 डेस्कटॉप और 13 लैपटॉप जब्त किये गये हैं. पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय और साइबर क्राइम) डॉ. अरविंद आनंद ने कहा कि इस कॉल सेंटर में इंटरनेशनल कॉल को इंटरसेप्ट कर डायवर्ट किया जाता था. कॉल सेंटर के कार्य करने वाली महिलाएं उस कॉल को लंबा खींचती थीं. कॉल को जितना लंबा खींचा जाता था, पैसे की उतनी ज्यादा कमाई होती थी. काफी दिनों से इस कॉल सेंटर पर नजर थी. गुरुवार को छापेमारी कर चार सुपरवाइजरों के साथ उक्त सामान जब्त किये गये. शुक्रवार को आरोपियों को अदालत में पेश कर रिमांड की अपील की जायेगी. गौरतलब है कि बराचक इलाके में यह कॉल सेंटर काफी दिनों से चल रहा था. आसनसोल साउथ थाना इलाके में इस कॉल सेंटर की गतिविधि की जानकारी मिलने पर दो माह पहले इसकी जांच पुलिस ने की थी. कॉल सेंटर चलाने के सारे वैध कागजात इनके पास थे. जिसके कारण पुलिस ने इन्हें छोड़ दिया था लेकिन इनपर निगरानी की जा रही थी.

पुलिस भी इनके कारनामों से है अचंभित

पुलिस उपायुक्त डॉ. आनंद ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों से मिली प्राथमिक जानकारी के अनुसार कोई चाइनीज कंपनी इंटरनेशनल कॉल को इंटरसेप्ट करके इस कॉल सेंटर में डायवर्ट करती थी. इस कॉल सेंटर में काम करनेवाली महिलाओं का कार्य उस कॉल को लंबा खींचना होता था. इंटरनेशनल कॉल का रेट काफी ज्यादा होता है. कॉल जितना लंबा चलता है, ग्राहक का पैसा उतना ज्यादा कटता है. जिसके आधार पर कॉल सेंटर को कमीशन मिलता है. यह कमीशन उन्हें कैसे मिलता था? इसकी जानकारी पुलिस जुटा रही है. मामले में शामिल चाइनीज कंपनी कौन है? देश की सुरक्षा का भी कोई मुद्दा है या नहीं? इसकी जांच भी की जा रही है. सारे डेस्कटॉप और लैपटॉप को साइबर फॉरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा जायेगा. कॉल सेंटर में कार्य करने वाली महिलाओं से बात की जायेगी. यह अपने आप में एक अनोखा मामला है. तीन चार दिनों में स्थिति कुछ और साफ हो सकेगी.

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