80 के दशक से ही गोड्डा शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को एक मात्र चिल्ड्रेन पार्क आकर्षित कर रहा है. इस पार्क में आने वाले बच्चों की खुशी देखते ही बनती थी. अपने अभिभावकों के साथ पार्क में घंटे-दो घंटे बैठकर बच्चे आनंदित होते थे. लेकिन अब बच्चों की खुशी पर नगर परिषद की नजर लग गयी है. इस पार्क का टेंडर कर बच्चों के लिए पांच रुपये व बड़ों के लिए दस रुपये की इंट्री फी लगा दी गयी है. हालांकि आज के जमाने में राशि तो काफी कम है, लेकिन पैसे लगने से बच्चे अब पार्क नहीं आना चाहते हैं. जबकि पार्क के मेंटेनेंस के लिए राशि भी जरूरी है. इसको देखते हुए ही नगर परिषद ने एक छोटी राशि तय की है. हालांकि, अब हर दिन पांच रुपये देना व पार्क का आनंद ले पाने में कई परिवार व उनके बच्चे पूरी तरह से सक्षम नहीं हो पा रहे हैं. बताते चलें कि पहले किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता था. नगर परिषद की ओर से गार्ड की तैनाती की गयी थी, जिसके भरोसे शहर का चिल्ड्रेन पार्क चलता था.
पार्क को सुसज्जित करने में अदाणी फाउंडेशन ने की लाखों की राशि खर्च
पार्क के पास ही एसडीओ कोठी है. अस्सी के दशक में गोड्डा आये आरएस शर्मा नामक पदाधिकारी ने शहर को बेहतर बनाने के लिए कई कार्य किये. इसी के साथ जुड़ा चिल्ड्रेन पार्क का सौगात भी शहर के बच्चों को मिला था. इसके बाद से प्रशासन की ओर से पार्क को कुछ हद तक बेहतर भी किया गया था. दो साल पहले अदाणी फाउंडेशन की ओर से लाखों की राशि खर्च कर पार्क में रंगीन बल्ब के बीच आइ लव चिल्ड्रेन पार्क का बोर्ड के साथ रंगीन फब्बारे, बच्चों के खेलकूद का उपकरण आदि की व्यवस्था की गयी. बेहतर पार्क बनने पर बच्चों को और भी मजा आने लगा.
टेंडर के बाद बच्चों की आजादी पर लगा ग्रहण
मगर इस बार नगर परिषद की ओर से टेंडर कर प्रवेश शुल्क लगा दिये जाने की वजह से बच्चों के खेलने कूदने की आजादी पर ग्रहण लग गया है. बच्चों की आजादी पर लेसीधारक का पहरा हो गया है. लेसीधारक को 5 व 10 रुपये दिये जाने के बाद ही पार्क पर प्रवेश की इजाजत होती है. शुल्क लेने के मामले में शुरूआती दिनों में काफी विरोध भी झेलना पड़ा है. ऐसे में इससे परेशानी होना तय है. कई गरीब बच्चे पार्क जाने से वंचित हो गये हैं. हालांकि नगर परिषद व लेसीधारक यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि यह मात्र प्रवेश शुल्क है. बच्चों के खेलने-कूदने की आजादी बरकरार है.
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