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गया के धर्मारण्य पिंडवेदी पर पिंडदान करने से पितरों को मिलती हैं मुक्ति, महाभारत से जुड़ा है प्रसंग 

Pind Daan: धर्मग्रंथों के मुताबिक गया के धर्मारण्य पिंडवेदी पर श्राद्ध करने से पितरों को प्रेतयोनि से मुक्ति मिलती है.

पितृपक्ष मेला में पिंडदानियों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए तीर्थयात्री विभिन्न पिंड वेदियों पर लगातार पिंडदान कर्मकांड कर रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि बोधगया स्थित धर्मारण्य पिंडवेदी पर पिंडदान करने से कई बाधाओं से मुक्ति मिलती है. इसलिए पितृपक्ष के दौरान रोजाना यहां बड़ी संख्या में पिंडदानी पहुंच रहे हैं और पितरों की मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान कर रहे हैं.

पिंडदान करने से बाधाओं से मिलती है मुक्ति

यहां पिंडदान कराने वाले स्थानीय पंडा दीपक तिवारी ने बताया कि यह धर्मारण्य पिंडवेदी है, यहां श्राद्ध करने से विभिन्न बाधाओं से मुक्ति मिलती है, पितरों को प्रेतयोनि से मुक्ति मिलती है. चाहे किसी की आत्मा भटक रही हो, या किसी का परिवार विभिन्न रोगों से ग्रसित हो या फिर संतान ना हो, शादी ना हो रही हो, या फिर अन्य कोई भी बाधा हो, अगर लोग यहां पिंडदान करते हैं तो उन्हें उक्त बाधाओं से मुक्ति मिलती है, साथ ही पितरों का उद्धार होता है. इस वेदी पर श्राद्ध कर्मकांड करने से पितरों को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है. महाभारत काल में स्वयं युधिष्ठिर ने भी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए यहां पिंडदान किया था. इसलिए इस पिंडवेदी का बहुत ही महत्व है.

पितरों की आत्मा की मोक्ष के लिए दूर दूर से आ रहे श्रद्धालु

वहीं कोलकाता से आई तीर्थयात्री स्वाति अग्रवाल ने बताया कि गयाजी में पिंडदान करने का सबसे ज्यादा महत्व है, ऐसा माना जाता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, यही वजह है कि अपने पति एवं अन्य परिजनों के साथ पितरों की आत्मा की मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान करने पहुंचे हैं. पिंडदान करने से पितर खुश होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. इसी कामना के साथ धर्मारण्य वेदी पर श्राद्ध कर्मकांड कर रहे हैं.

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