Bihar News: मुजफ्फरपुर शहर के चर्चित एमबीए छात्रा यशी सिंह अपहरण कांड की जांच अब सीबीआइ (CBI) करेगी. पटना हाइकोर्ट में शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद ने यह फैसला सुनाया है. इसकी पुष्टि वादी पक्ष के अधिवक्ता अरविंद कुमार ने की है. उन्होंने बताया है कि कोर्ट ने सीआइडी को जल्द-से-जल्द केस से संबंधित सभी को सीबीआइ को सौंपने का निर्देश दिया है.
सीआईडी कर रही थी केस की जांच
हाइकोर्ट के अधिवक्ता अरविंद कुमार ने बताया सीआइडी पिछले डेढ़ साल से केस का अनुसंधान कर रही थी. लेकिन, अपहृत छात्रा के बारे में कुछ सुराग नहीं हासिल कर पायी. जबकि न्यायालय ने प्रत्येक शुक्रवार को केस की सुनवाई को लेकर तिथि निर्धारित कर रखी थी. केस की प्रोग्रेस रिपोर्ट के नाम पर बस कागजात की फाइल प्रस्तुत की जा रही थी. इस वजह से सीआईडी की जांच से अपहृत छात्रा के परिजन काफी असंतुष्ट थे.
सीआईडी ने कोर्ट को क्या बताया?
सुनवाई के दौरान सीआइडी की ओर से यशी सिंह अपहरण केस की जांच को लेकर बनायी गयी एसआइटी को लीड कर रहे डीआइजी दलजीत सिंह पहुंचे थे. केस की सुनवाई शुरू होते ही सीआइडी की ओर से अब तक उनके द्वारा की गयी कार्रवाई को लेकर मोटी फाइल प्रस्तुत की. उनके द्वारा बताया गया कि छात्रा का सुराग लगाने को इंटरपोल तक की मदद ली गयी. फेसबुक अकाउंट की विस्तृत जानकारी को लेकर इसके अमेरिका स्थित मुख्यालय तक पत्राचार किया गया है.
सीबीआई को सौंपा गया मामला
इसके बाद परिजन की ओर से वादी पक्ष के अधिवक्ता ने सीआइडी की जांच पर असंतोष जाहिर करते हुए सीबीआइ जांच की मांग की, जिसको न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद ने मंजूर करते हुए उनके पक्ष में आदेश जारी कर दिया. अधिवक्ता ने बताया कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ यशी सिंह को ढूंढ़ कर लाये, उससे उम्मीद है.
क्या है यशी सिंह अपहरण कांड?
बता दें कि मुजफ्फरपुर जिले के सदर थाना क्षेत्र के भगवानपुर से 12 दिसंबर 2022 को एमबीए की छात्रा यशी सिंह अचानक लापता हो गयी थी. यशी के नाना राम प्रसाद राय ने पुलिस थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज करायी थी जिसके बाद अपहरण का केस दर्ज हुआ था. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद लंबे समय तक पुलिस यशी को खोजने में असफल रही. यशी सिंह का सोशल मीडिया अकांउट हैंडल करने के मामले में दो महिलाएं भी गिरफ्तार की गयीं. पुलिस ने रेड लाइट एरिया में भी छापेमारी की थी. लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी. इस बीच यह मामला सीआईडी को ट्रांसफर कर दिया गया. पुलिस की ओर से इनाम भी घोषित किया गया. लेकिन इसका भी फायदा नहीं हुआ. राज्य पुलिस की कार्यशैली की तीखी आलोचना करते हुए पटना हाईकोर्ट ने फटकार भी लगायी थी.