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ममता बनर्जी ने क्यों दी डीवीसी के साथ हुए समझौते को तोड़ने की धमकी, जानें पूरी बात

Mamata Banerjee : बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रदेश में अचानक आए बाढ़ से नाराज हैं और गुस्सा झारखंड पर निकाल रही हैं. दरअसल 14-15 सितंबर को बंगाल और झारखंड में हुई भारी बारिश के बाद डीवीसी ने बांधों का पानी छोड़ा, जिसकी वजह से बंगाल में स्थिति गंभीर हो गई और कई जिले जलमग्न हो गए. ममता बनर्जी ने इसके लिए डीवीसी की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और यह कहा कि एकतरफा पानी छोड़े जाने की वजह से बंगाल में बाढ़ आई और झारखंड से जाने वाले ट्रकों को सीमा पर रोक दिया. उन्होंने डीवीसी के साथ किए गए समझौते को तोड़ने की धमकी भी दी. इस आलेख में पढ़ें वो कौन सा समझौता है जिसे तोड़ने की धमकी ममता बनर्जी दे रही हैं और मानव निर्मित बाढ़ की सच्चाई क्या है?

Mamata Banerjee : बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक बार फिर नाराज हैं, अपनी नाराजगी जताने के लिए उन्होंने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत लिखा और उस खत में उन्होंने डीवीसी(दामोदर घाटी निगम) पर यह आरोप लगाया कि उसने एकतरफा पानी छोड़ा जिसकी वजह से बंगाल में बाढ़ आ गई और इस बाढ़ से 50 लाख लोग प्रभावित हुए. ममता बनर्जी ने यह धमकी भी दी कि अगर डीवीसी का रवैया इसी तरह का रहा तो उनका राज्य डीवीसी के साथ किए गए समझौते हो तोड़ देगा. ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के सामने यह मांग रखी कि वह अचानक आई इस बाढ़ से हुई तबाही से निपटने के लिए तत्काल धनराशि भेजे.

बंगाल सरकार का क्या है डीवीसी के साथ समझौता

भारत सरकार के सिंचाई और ऊर्जा मंत्रालय ने बाढ़ नियंत्रण, जल आपूर्ति, सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन के लिए पानी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए एक समझौता किया है, जिसमें पानी छोड़ने का प्रबंधन दामोदर घाटी जलाशय विनियमन समिति (डीवीआरआरसी) द्वारा किया जाता है. इस समझौते में जिसमें केंद्रीय जल आयोग, पश्चिम बंगाल सरकार, झारखंड सरकार और डीवीसी के प्रतिनिधि शामिल हैं. जब भी डीवीआरआरसी की सलाह पर पानी छोड़ा जाता है, तो डीवीसी संबंधित सभी पक्षों को इसकी जानकारी देता है और उनकी सहमति के बाद ही पानी छोड़ने की प्रक्रिया पूरी की जाती है. यह पानी छोड़ने का प्रोटोकाॅल है.

बंगाल सरकार ने झारखंड के ट्रकों को क्यों सीमा पर रोका

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ममता बनर्जी ने क्यों दी डीवीसी के साथ हुए समझौते को तोड़ने की धमकी, जानें पूरी बात 3

दामोदर घाटी निगम द्वारा वृहस्पतिवार को अंतर-राज्यीय सीमा पर स्थित बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार की मुखिया ममता बनर्जी नाराज हो गईं और झारखंड की तरफ से आने वाले ट्रकों को रोक दिया, इसकी वजह से सीमा पर ट्रकों की लाइन लग गई. ममता बनर्जी का यह कहना है कि बंगाल में अभी जो बाढ़ आई है वह मानव निर्मित है. बार-बार चेताने के बाद भी केंद्र ने डीवीसी की तकनीकी और प्रबंधकीय विफलताओं को नजरअंदाज किया है, जिसका खामियाजा सिर्फ बंगाल की जनता को भुगतना पड़ा है. ममता बनर्जी ने एक्स पर पोस्ट लिखा कि 2009 के बाद इस तरह का भयावह बाढ़ किसी ने नहीं देखा था. इसी नाराजगी की वजह से ममता बनर्जी ने झारखंड की सीमा को सील कर दिया. उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार ने प्रदेश में हुई भारी बारिश की वजह से डीवीसी से बार-बार यह आग्रह किया कि वो समय-समय पर छोड़े जाने वाले पानी को अभी ना छोड़े, लेकिन डीवीसी ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़ दिया, जिसकी वजह से स्थिति भयावह हो गई.  लगभग 24 घंटे के बाद एनएच-2 और एनएच-6 पर फंसे हजारों ट्रकों को बंगाल में प्रवेश दे दिया गया.

शुभेंदु और अधीर ने किया हमला

बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को डीवीसी से संबंध तोड़ने की धमकी देने वाले बयान पर घेरा है. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने बिना सोचे-समझे यह बयान दिया है. क्या उन्हें यह नहीं पता है कि अगर वे डीवीसी के साथ समझौता तोड़ेंगी तो दक्षिण बंगाल के कई जिले अंधकार में डूब जाएंगे क्योंकि इन जिलों में डीवीसी ही पावर सप्लाई करता है. 

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वहीं कांग्रेस ने अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी को निशाने पर लेते हुए कहा कि वह झूठ बोल रही हैं, अगर डीवीसी ने उन्हें सूचना दिए बिना पानी छोड़ा है तो वह केंद्र के खिलाफ कोर्ट क्यों नहीं जा रही हैं. इतना बड़ी घटना अगर हुई है, तो वे कोर्ट जाएं, लेकिन वे नहीं जाएंगी, क्योंकि वे झूठ बोल रही हैं. वो झारखंड की सीमा सील करके अपने तेवर दिखा रही हैं, मैं उनसे यह पूछना चाहता हूं कि क्या ट्रकों पर पानी लोड करके बंगाल आ रहा था? ट्रकों को रोकने से प्रदेश के लोगों को सामानों की कमी हो जाएगी.

क्या है डीवीसी और झारखंड का रुख?

डीवीसी के चेयरमैन सुशील कुमार द्वारा जारी लिखित बयान में स्पष्ट कहा गया है कि डीवीआरआरसी पानी छोड़ने की सलाह देता है और पानी छोड़ने से पहले सभी संबंधित पक्षों को सूचना दी गई थी और पानी छोड़ने को लेकर जो प्रोटोकाॅल है, उसका उल्लंघन बिलकुल भी नहीं किया गया था. उन्होंने बताया कि डीवीसी चार बांधों का संचालन करता है, मैथन, पंचेत, तिलैया और कोनार.  पश्चिम बंगाल और उसके बाद झारखंड पर बने डीप डिप्रेशन की वजह से 14 सितंबर से 15 सितंबर तक दोनों राज्यों में भारी बारिश हुई जिसकी वजह दक्षिण बंगाल में अमता चैनल और दामोदर नदी के उद्गम क्षेत्र की मुंडेश्वरी नदी उफान पर थीं. अन्य नदियां  शिलाबती, कांगसबती और द्वारकेश्वर, जो कि दामोदर नदी से जुड़ी हुई हैं भी उफान पर थीं. इसी बीच तेनुघाट बांध, जो कि झारखंड सरकार की ओर से कार्यान्वित है और डीवीआरआरसी के नियंत्रण से बाहर है ने भी 85,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जिससे समस्या और बढ़ गई. लेकिन डीवीसी की ओर पानी छोड़ने से पहले सभी सभी संबंधित अधिकारियों को सूचना दी गई थी.

वहीं झामुमो के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रेस काॅन्फ्रेंस कर झारखंड की सीमा सील करने पर ममता बनर्जी पर हमला बोला और कहा कि उनका यह निर्णय अनुचित था. अगर झारखंड अपनी सीमा सील कर देगा तो बंगाल देश के पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी हिस्सो से कट जाएगा. यह बात दीदी को समझनी चाहिए और उन्हें यह पता होना चाहिए कि बंगाल में जो बाढ़ की स्थिति है, उसके लिए वहां सामान लेकर जाने वाले ट्रक जिम्मेदार नहीं हैं.

बाल पहाड़ी डैम बंगाल को दे सकता है राहत,लेकिन ममता नहीं दे रही हैं निर्माण की मंजूरी

झारखंड के गिरिडीह जिले में बराकर नदी पर बाल पहाड़ी डैम बनना है, जिससे झारखंड को सिंचाई की सुविधा मिलेगी और बंगाल सरकार को बाढ़ से राहत. 2012 से ही इसका डीपीआर तैयार है, लेकिन बंगाल सरकार इसकी मंजूरी नहीं दे रही है, जिसकी वजह से प्रदेश को बाढ़ की परेशानी झेलनी पड़ती है.

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