सहरसा. मॉडल सदर अस्पताल की ऑक्सीजन सप्लाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. बेपरवाह अस्पताल प्रशासन की लापरवाही कहें या उदासीनता कब कितने मरीजों की जान ले ले कोई नहीं जानता. आये दिन मॉडल सदर अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई व्यवस्था कभी भी ठप हो जाती है. जिसका खामियाजा इलाजरत मरीजों को भुगतना पड़ता है. ऐसी लापरवाही मामलों में अस्पताल प्रशासन काफी सुर्खियों में है. बिना ऑक्सीजन के ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर व स्टाफ नर्स भी अस्पताल प्रशासन की ऐसी व्यवस्था से पूरी तरह खिन्न है. किसी तरह मरीजों का इलाज कर अनहोनी से बचने के प्रयास में लगे रहते हैं. अस्पताल के इमरजेंसी में कभी भी 24 से लेकर 48 घंटे तक पूरा अस्पताल ऑक्सीजन के सहारे बिना ही टिका रहता है. ऐसी लापरवाही अस्पताल की बदहाल व्यवस्था का चीख चीख कर पोल खोलने का काम करती है. विभागीय नियमों के विरुद्ध अस्पताल प्रशासन मरीजों की सुविधा को ताक पर रखकर बस अपने फायदे के काम में दिलचस्पी दिखाने में व्यस्त रहती है. लापरवाही का ऐसा ही ताजा मामला एक बार फिर से देखने को मिला. जब शुक्रवार से लेकर शनिवार के दोपहर तक पूरा मॉडल सदर अस्पताल बिना ऑक्सीजन सप्लाई के ही संचालित होता रहा. पूरे अस्पताल के मरीजों की सांसें 24 घंटे से ज्यादा समय के लिए लगभग थम सी गयी थी. एक भी ऑक्सीजन से भरा सिलिंडर प्रबंधन के हाथ में नहीं था. शुक्रवार की देर रात ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर जरूरत के हिसाब से जरूरतमंद मरीजों को कोविड 19 के समय में अस्पताल को उपलब्ध कराए गये बिजली संचालित छोटे इमरजेंसी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के सहारे काम चलाते देखा गया. लेकिन लापरवाही के बीच विशेष रूप से गंभीर मरीज यह जंग कब तक लड़ेंगे. ऐसे में होने वाली किसी तरह की अनहोनी का जिम्मेवार आखिरकार कौन होगा. सीमित है ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का उपयोग कोविड 19 के समय ही सदर अस्पताल में उपलब्ध कराये गये आपातकालीन ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बिजली से संचालित होने वाली डिवाइस है. जिसकी कैपेसिटी यह है कि यह छोटा कंसंट्रेटर एक मिनट में एक या दो लीटर तक ही ऑक्सीजन सप्लाई कर पाती है. वहीं बड़ा कंसंट्रेटर एक मिनट में पांच से दस लीटर तक ऑक्सीजन सप्लाई करने की कैपेसिटी रखती है. लेकिन कोविड के समय सदर अस्पताल को सिर्फ 6 छोटा ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर उपलब्ध कराया गया था. जिसे फिलहाल बढाकर 16 कंसंट्रेटर कर दिया गया. लेकिन शुक्रवार को पूरे मॉडल अस्पताल के ट्रायज रूम से लेकर सभी इमरजेंसी वार्डों में बिजली के सहारे चलने वाली सिर्फ 8 छोटा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ही उपलब्ध पाया गया. जिसमें से सिर्फ चार ही काम कर रहा था और अन्य चार खराब जैसी स्थिति में जस तस पड़ा हुआ था. ठीक मशीन गंभीर मरीज के इस्तेमाल में लगाया गया था. वहीं ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर से जब ऑक्सीजन को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो है उसी में काम कर रहे हैं. अस्पताल प्रशासन से जाकर पूछिए कि ऑक्सीजन सप्लाई क्यों बंद है. जब ड्यूटी पर तैनात कक्ष सेवक से पूछा गया तो उन्होंने डरे सहमे शब्द में कहा कि ऑक्सीजन आज खत्म है. लेकिन मरीज को कंसेंट्रेटर से ऑक्सीजन मिल रहा है. मामले को लेकर जब सिविल सर्जन से बात करने की कोशिश की गई तो सिविल सर्जन से संपर्क नहीं हो पाया. उन्होंने फोन भी नहीं उठाया.
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