संवाददाता, देवघर : शनिवार को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा आयोजित परीक्षा के दौरान इंटरनेट सेवा सुबह छह बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक करीब साढ़े सात घंटे तक बंद रही, जिससे आम लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा. इस निर्णय ने विशेष रूप से मोबाइल बैंकिंग, व्यापार, शिक्षा और अन्य आवश्यक सेवाओं को प्रभावित किया. मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद रहने से सबसे अधिक नुकसान व्यापारियों को हुआ. देवघर जिले में अनुमानित रूप से 25 करोड़ रुपये से अधिक का मोबाइल बैंकिंग और ट्रांजेक्शन प्रभावित हुआ. यूपीआइ और अन्य ऑनलाइन भुगतान प्रणालियां पूरी तरह से ठप रहीं, जिससे बाजारों और दुकानों में केवल नकद लेन-देन ही संभव हो सका. बहुत से ग्राहक, जिन्हें इंटरनेट सेवा के बंद होने की जानकारी नहीं थी, खरीदारी के लिए बाजार पहुंचे और उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ी. मोबाइल पेमेंट करने वाले लोगों को अचानक कैश निकालने के लिए एटीएम का सहारा लेना पड़ा, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गयी. छात्रों पर भी इसका व्यापक असर पड़ा. ऑनलाइन क्लास करने वाले छात्रों को 7 घंटे 30 मिनट तक शिक्षा से वंचित रहना पड़ा. ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी गंभीर रही, जहां 300 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) और ग्राहक सेवा केंद्र (सीएसपी) जो ब्रॉडबैंड इंटरनेट से नहीं जुड़े हैं, पूरी तरह ठप रहे. सरकारी योजनाओं के ऑनलाइन आवेदन भी नहीं हो पाये और सुदूर ग्रामीण इलाकों में पैसों की जमा-निकासी पर भी इसका बुरा असर पड़ा. ई-कॉमर्स सेक्टर पर भी इंटरनेट सेवा बंद होने का गंभीर असर देखा गया. इंटरनेट बंद होने के कारण अधिकतर लोग ऑनलाइन शॉपिंग नहीं कर सके, जिससे डिलीवरी सेवाएं बाधित रहीं. ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनियां समय पर डिलीवरी नहीं कर पाईं, क्योंकि लोकेशन ट्रैकिंग और अन्य आवश्यक फीचर्स काम नहीं कर रहे थे. प्राइवेट सेक्टर में वर्क फ्रॉम होम करने वाले कर्मचारियों के लिए भी यह एक बड़ी समस्या साबित हुई. इंटरनेट बंद रहने से देवघर के कई युवा जो आइटी सेक्टर में वर्क फ्रॉम होम कर रहे थे, वे काम नहीं कर सके. इस कारण आइटी कंपनियों का कामकाज भी प्रभावित हुआ. कई प्राइवेट संस्थानों में ई-मेल और अन्य इंटरनेट आधारित सेवाओं का लाभ नहीं मिल सका, जिससे व्यावसायिक और शैक्षणिक दोनों क्षेत्रों को नुकसान उठाना पड़ा. साइबर कैफे और अन्य इंटरनेट से जुड़ी सेवाएं भी बंद रहीं, जिससे कई लोग अपने काम समय पर पूरा नहीं कर पाये. कोविड के बाद जब वर्क फ्रॉम होम का चलन बढ़ा, तब से इंटरनेट पर निर्भरता भी काफी बढ़ गयी है, और ऐसी स्थिति में इंटरनेट सेवा बंद होने का यह फैसला बड़े पैमाने पर असर डालता है. कुल मिलाकर, इंटरनेट सेवा बंद रहने से विभिन्न वर्गों व्यापारी, छात्र, नौकरीपेशा और ग्रामीण जनता सभी को असुविधा का सामना करना पड़ा.
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