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अंक देने में भेदभाव का आरोप लगाते हुए छात्रों ने जताया विरोध

इसे लेकर जादवपुर यूनिवर्सिटी (जेयू) फिर विवादों में है. जादवपुर यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग के छात्रों ने अंकों में हेराफेरी की शिकायत के साथ विरोध प्रदर्शन किया.

कोलकाता. वामपंथी विचारधारा वाले प्रोफेसर मुख्य रूप से राजनीतिक रंग के आधार पर छात्रों को अंक देते हैं. ऐसे में अगर छात्र एसएफआइ से जुड़े हैं, तो उन्हें अधिक अंक दिये जाते हैं. अगर वे किसी अन्य छात्र संगठन से हैं, तो उन्हें कम अंक दिये जाते हैं, या फेल कर दिया जाता है. ऐसी शिकायतें सामने आयी हैं. इसे लेकर जादवपुर यूनिवर्सिटी (जेयू) फिर विवादों में है. जादवपुर यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग के छात्रों ने अंकों में हेराफेरी की शिकायत के साथ विरोध प्रदर्शन किया. आरोप है कि छात्रों को उनके राजनीतिक रंग के आधार पर अंक दिये जाते हैं. नतीजा यह होता है कि कई छात्र योग्यता होते हुए भी पीएचडी नहीं कर पाते या योग्यता के मुताबिक उन्हें अंक नहीं मिलते. इसके विरोध में शनिवार को छात्रों ने जादवपुर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के प्रमुख के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने विभाग प्रमुख पार्थसारथी चक्रवर्ती के कार्यालय का घेराव भी किया. गौरतलब है कि शिकायत वामपंथ से प्रभावित शिक्षकों के एक वर्ग के खिलाफ की गयी है. शिकायत के बाद छात्रों ने समग्र स्थिति की समीक्षा की मांग की. उनका दावा है कि समीक्षा के दौरान बाहरी विशेषज्ञों को भी रखा जाना चाहिए. विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने अंततः समीक्षा की मांग स्वीकार कर ली. प्रदर्शनकारियों की शिकायत है कि वामपंथी विचारधारा वाले प्रोफेसर छात्रों के साथ भेदभाव करते हैं. योग्य छात्रों को प्रथम श्रेणी नहीं मिल पा रही है या वे पीएचडी नहीं कर पा रहे हैं. यह काफी समय से चल रहा है. छात्रों द्वारा लगभग 50 से 60 शिकायतें बतायी गयी हैं. समस्या के समाधान के लिए छात्रों ने विभागाध्यक्ष पार्थसारथी चक्रवर्ती के कार्यालय का घेराव किया. छात्रों द्वारा समीक्षा की मांग के तुरंत बाद विभागीय बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक हुई. आरोपी प्रोफेसरों को लिखित में माफी मांगने को कहा गया है. बैठक के बाद विभागाध्यक्ष ने कहा कि अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा की समीक्षा किसी बाहरी विशेषज्ञ से करायी जायेगी. इसके अलावा, आंतरिक परीक्षाओं से संबंधित शिकायतों की भी जांच की जायेगी. इतना ही नहीं, एक शिक्षक से कारण बताने को कहा गया है. वहीं, कुछ शिक्षक इस आरोप को निराधार बता रहे हैं. आश्वासन मिलने के बाद छात्रों ने धरना हटाया.

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