साहिबगंज. राष्ट्रकवि दिनकर दो बार साहिबगंज आये थे. यहां से उनका गहरा लगाव था. यह बातें प्रधानाचार्य सह सचिव झारखंड राज्य भाषा साहित्य अकादमी सच्चिदानंद ने प्रभात खबर से कही. उन्होंने कहा कि दिनकर को लाने का दायित्व रामजन्म मिश्र को मिला था. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का साहिबगंज की धरती से अन्यतम लगाव रहा है. साहित्य जगत आज 116वीं जयंती मना रहा है. दिनकर के प्रथम आलोचक आचार्य शिवबालक राय तत्कालीन प्रधानाचार्य साहिबगंज महाविद्यालय के आमंत्रण पर दो बार साहिबगंज आये थे. पहली बार वर्ष 1965 में दिनकर जी और डॉ जनार्दन झा तुलसी जयंती के अवसर पर आये थे. दूसरी बार दिनकर जी 10 दिसंबर 1972 को साहिबगंज आये थे. अवसर था कलाभवन के निर्माता दानशील धन्नालाल लोहिया की आवक्ष प्रतिमा के अनावरण का. धना बाबू की मूर्ति आज भी कला भवन में प्रथम तल के बाहरी दीवार पर है. दिनकर जी सकुशल लाने के लिए रामजन्म मिश्र को पटना भेजा गया. 1972 में रामजन्म मिश्र साहिबगंज महाविद्यालय में (हिंदी विभाग) व्याख्याता के पद पर नियुक्ति हुई थी. दिनकर जी दानापुर फास्ट पैसेंजर से 9 दिसंबर 1972 को साहिबगंज आये. दानापुर फास्ट पैसेंजर ट्रेन रात में साहिबगंज जंक्शन पर पहुंची. स्टेशन पर प्राचार्य आचार्य शिवबालक राय, प्रोफेसर जगन्नाथ ओझा, प्रोफेसर राधाकांत गोस्वामी, इत्यादि के साथ सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने प्लेटफार्म पर दिनकर का स्वागत किया. प्रथम श्रेणी के डिब्बे से उतरते ही दिनकर जी पर पुष्प वर्षा हुई. जिंदाबाद के नारे से स्टेशन गूंज उठा. अधिवक्ता सत्यनारायण शर्मा, भोला प्रसाद चौधरी स्वागत के लिए मौजूद थे. 10 दिसंबर 1972 को 11 बजे दिन में दिनकर जी ने रमन विज्ञान भवन में महर्षि रमण पर व्याख्यान दिया. अपराह्न में सेठ धन्ना लाल लोहिया की मूर्ति का अनावरण किया. संध्या समय नंदन भवन में काव्य गोष्ठी हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जगन्नाथ ओझा के स्वागत भाषण के बाद दिनकर जी ने कविता पाठ शुरू किया. दिनकर जी ने ””””हिमालय”””” कविता से काव्य पाठ की शुरुआत की. ””””हिमालय”””” कविता पाठ के बाद छात्रों ने राष्ट्रकवि दिनकर से ””””नील कुसुम”””” कविता सुनाने का आग्रह किया. इस पर दिनकर जी ने कहा कि ””””नील कुसुम”””” जवानी की कविता है, तुम मुझे अपनी जवानी दो तब मैं यह कविता सुनाऊंगा के बाद नंदन भवन तालियों की गड़गड़ाहट से देर तक गूंजता रहा. दिनकर जी ने बड़ी मस्ती के साथ ””””नील कुसुम”””” कविता का पाठ किया. सुंदरी अरे इन शोख बूतों का क्या कहना ””””पहले तो लेती बाध प्यार की डोर मगर, पीछे चुंबन पर कैद लगाया करती है”””” दिनकर की कालजई रचनाओं में रश्मिरथी, उर्वशी, संस्कृति के चार अध्याय आदि काफी प्रसिद्ध है. उर्वशी पर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था. राज्यसभा के मनोनीत सदस्य दिनकर जी को भारत सरकार ने पद्म विभूषण से अलंकृत किया था. गद्य लेखन भी दिनकर जी बेजोड़ थे. संस्कृति के चार अध्याय हिंदी की अमूल्य निधि है. साहिबगंज में राष्ट्रकवि दिनकर का कार्यक्रम गौरव का विषय है. राष्ट्रकवि दिनकर आचार्य शिवबालक राय की आवास “तमसा तीर्थम ” में (जो हव्वीपुर मोहल्ले में स्थित था में रात्रि विश्राम किया था. राष्ट्रकवि दिनकर ने अपनी इस यात्रा का वर्णन अपनी डायरी में किया है, जो ””””दिनकर की डायरी”””” नामक पुस्तक में प्रकाशित है. दो दिनों तक गंगा के तट स्थित साहिबगंज शहर में विश्राम किया. अपनी वाणी से शहर को गौरवान्वित किया. दिनकर की 116वीं जयंती पर कई कार्यक्रम आज राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की 116वीं जयंती पर सोमवार को अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे. झारखंड राज्य भाषा साहित्य अकादमी व मनोरंजन भोजपुरी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में दिनकर जयंती के अवसर पर संगोष्ठी आयोजित की गयी है. इसकी अध्यक्षता डॉ रामजन्म मिश्र , कुलाधिपति विक्रमशीला हिंदी विद्यापीठ करेंगे. संगोष्ठी को हिंदी और अंगिका के विद्वान लेखक अनिरुद्ध प्रभास एवं दिनकर साहित्य के विशेषज्ञ डॉ सच्चिदानंद संबोधित करेंगे. संगोष्ठी का आयोजन प्रगति भवन की सभा कक्ष में होगा. प्राथमिक विद्यालय संस्कृत लाल बन्ना में दिनकर जयंती पर संकुल स्तरीय काव्य पाठ का आयोजन किया गया है. इसमें प्रतिभागी सिर्फ “रश्मिरथी ” पाठ करेंगे. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व प्रधानाध्यापक जंग बहादुर ओझा होंगे. कार्यक्रम में हिंदी के कई नामचीन विद्वान शिक्षक भाग लेंगे.
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