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ऑफलाइन जमाबंदी को दूसरे के नाम कर दिया ऑनलाइन जमाबंदी

अंचल कार्यालय में तैनात कंप्यूटर ऑपरेटर की मनमानी और लापरवाही से भूमि विवाद और रैयतों की परेशानी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है.

राजगीर. अंचल कार्यालय में तैनात कंप्यूटर ऑपरेटर की मनमानी और लापरवाही से भूमि विवाद और रैयतों की परेशानी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. अंचल कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते रैयतों के जूते-चप्पल घीस रहे हैं. बावजूद उनके कामों का निष्पादन नहीं हो रहा है. इतना ही नहीं वरीय पदाधिकारियों के आदेशों को भी अंचल कार्यालय द्वारा तवज्जो नहीं दिया जा रहा है. ऐसा ही एक मामला सिलाव अंचल का है. प्रखण्ड के माहुरी निवासी किसान नागेन्द्र प्रसाद सिंह के पिता स्वर्गीय रामचन्द्र प्रसाद सिंह का ऑफलाइन जमाबंदी वर्षों पूर्व किया गया है, जिसका जमाबंदी संख्या 01( एक ) है. उनका जमाबंदी खाता संख्या 183, 184, 185, 190, 191और 195 रकवा 28.91 एकड़ है. लेकिन ऑनलाइन जमाबंदी उनके जगह सुनैना देवी, पति सुरेंद्र प्रसाद सिंह, साकिन माहुरी के नाम से किया गया है, जो पूरी तरह गलत है. अंचल कार्यालय से निर्गत बजाप्ता नकल में सुनैना देवी, पति सुरेन्द्र प्रसाद सिंह से किया ऑनलाइन जमाबंदी की संख्या भी 01 ( एक) है. ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज विवरणी के अनुसार इनके नाम की गयी. इस जमाबंदी में खाता संख्या – शून्य, खेसरा- शून्य, रकवा- शून्य है. नागेन्द्र प्रसाद सिंह की मानें तो अंचल कार्यालय की इस गलती को सुधरवाने के लिये वह वर्षों से सीओ से लेकर एसीएस तक नाक रगड़ रहे हैं. लेकिन उनकी फरियाद पर अबतक न तो अमल हुआ है और न ही सुधार हो सका है. उनके द्वारा फिर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के एसीएस को ज्ञापन भेजकर अपने पिता स्वर्गीय रामचन्द्र प्रसाद सिंह के नाम उनके जमीन की ऑनलाइन जमाबंदी – 01 ( एक) कराने की गुहार लगाया गया है. उन्होंने बताया कि उनकी शिकायत पर राजगीर एसडीओ द्वारा अंचलाधिकारी, सिलाव को विषयगत मामले का ऑनलाइन करने का निर्देश दिया गया है. लेकिन अबतक जमाबंदी संख्या -01 (एक) पर उनके पिता के नाम ऑनलाइन नहीं किया गया है. नागेन्द्र ने बताया कि किसानों की आजीविका के लिए अपनी जमीन महत्वपूर्ण है. ऑनलाइन पोर्टल पर जमीन का नामांतरण नया मुद्दा बन गया है. कई किसान इस प्रक्रिया से बहुत परेशान हो रहे हैं. ऑनलाइन नामांतरण की प्रक्रिया में अक्सर तकनीकी समस्याएं उत्पन्न होती हैं. किसानों को आवश्यक दस्तावेज जैसे भूमि रिकॉर्ड, मौजा, तौजी, खाता, खेसरा, रकवा सही तरीके से ऑनलाइन नहीं करने पर कठिनाई हो रही है. किसानों द्वारा ऑनलाइन आवेदन करने के बाद भी कम्प्यूटर ऑपरेटर की लापरवाही से किसानों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. नागेन्द्र सिंह ने आरोप लगाया कि धोखाधड़ी के माध्यम से उनकी जमीन को दूसरे के नाम कर दिया गया है. ऐसा होने पर किसान न्याय की तलाश में भटक रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिन किसानों का ऑफलाइन जमाबंदी हो चुकी है, उन किसानों की ऑनलाइन जमाबंदी दूसरे किसानों के नाम पर करना संज्ञेय अपराध है. इसके दोषी कर्मचारियों के खिलाफ दण्डनात्मक करवाई कार्रवाई करने की उन्होंने मांग की है.

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