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Odisha News: सैन्य अधिकारी व मंगेतर के उत्पीड़न मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित

Odisha News: मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भुवनेश्वर के एक थाना में सैन्य अधिकारी और मंगेतर के साथ कथित दुर्व्यवहार की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया है.

Odisha News: ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने यहां एक पुलिस थाना में एक सैन्य अधिकारी को कथित तौर पर प्रताड़ित किये जाने और उसकी मंगेतर के यौन उत्पीड़न के मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिये हैं. एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति चितरंजन दास की अध्यक्षता में एक जांच आयोग गठित किया है. इसमें कहा गया है कि आयोग घटनाक्रम और उससे जुड़ी परिस्थितियों के साथ ही इससे संबद्ध व्यक्तियों तथा प्राधिकारियों की भूमिका, आचरण और जवाबदेही पर गौर करेगा. जांच रिपोर्ट 60 दिन के भीतर सौंपी जायेगी. अधिसूचना में कहा गया है कि आयोग भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय सुझायेगा. राज्य सरकार ने ओडिशा उच्च न्यायालय से भी ओडिशा पुलिस की अपराध शाखा द्वारा की जा रही जांच की निगरानी करने का अनुरोध किया है. इससे पूर्व मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने उपमुख्यमंत्री केवी सिंहदेव और प्रभाति परिडा, राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी, कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन और राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श के बाद न्यायिक जांच के आदेश जारी किये. मुख्यमंत्री श्री माझी ने कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर जोर देते हुए कहा कि उनकी सरकार भारतीय सेना का सम्मान करती है. बयान में कहा गया है कि राज्य सरकार महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और अधिकारों को लेकर चिंतित है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर शिकायतकर्ताओं ने दोनों उपमुख्यमंत्रियों, राजस्व मंत्री और कानून मंत्री के साथ स्टेट गेस्ट हाउस में बैठक की. इस बैठक में महिला के पिता और सेना के अन्य वरिष्ठ सेवारत अधिकारी भी मौजूद थे.

सैन्य अधिकारी व महिला मित्र ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की

भुवनेश्वर. ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने यहां एक पुलिस थाने में कथित दुर्व्यवहार के पीड़ित एक सैन्य अधिकारी और उसकी मंगेतर से सोमवार को मुलाकात की. इससे एक दिन पहले राज्य सरकार ने इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिये. दोनों ने सोमवार सुबह राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री से मुलाकात की. इस दौरान पीड़ित लड़की के पिता भी मौजूद थे. माझी से मुलाकात के बाद महिला के पिता ने कहा कि हमने ओडिशा सरकार से न्यायिक जांच का अनुरोध किया था और इसे मान लिया गया. हम इस फैसले का स्वागत करते हैं और इसके लिए मुख्यमंत्री का आभार जताते हैं.

भरतपुर थाना के पांच कर्मियों को किया गया है निलंबित

पश्चिम बंगाल में तैनात सैन्य अधिकारी और उनकी मंगेतर रोड रेज की शिकायत दर्ज कराने 15 सितंबर को भरतपुर थाना पहुंचे थे. रोड रेज की घटना में कुछ स्थानीय युवकों ने उनसे कथित तौर पर मारपीट की थी. थाना में प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर दोनों का पुलिसकर्मियों से विवाद हो गया, जिसके बाद पर सैन्य अधिकारी और उनकी मंगेतर से वहां कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया गया. इस मामले में ओडिशा सरकार ने भरतपुर थाना के पांच कर्मियों को निलंबित कर दिया है और सेना अधिकारी को प्रताड़ित करने तथा उनकी मंगेतर का यौन उत्पीड़न करने के आरोप में उनके खिलाफ एक मामला दर्ज किया है.

बीजद ने भुवनेश्वर बंद वापस लिया

ओडिशा सरकार की ओर से भरतपुर थाना में हुई घटना की न्यायिक जांच का आदेश दिया है. जिसके बाद बीजू जनता दल (बीजद) ने 24 सितंबर को प्रस्तावित भुवनेश्वर बंद को वापस ले लिया है. पार्टी ने एक दिन पहले रविवार को ही छह घंटे की हड़ताल की घोषणा की थी. पत्रकारों से बात करते हुए बीजद के वरिष्ठ नेता देवी प्रसाद मिश्र ने कहा कि हमारी पार्टी के नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने घटना की न्यायिक जांच की मांग की थी. साथ ही उन्होंने निष्पक्ष जांच के लिए उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच की बात कही थी. ओडिशा सरकार ने उनकी मांगों पर सहमति जताते हुए मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिये हैं. इस कारण हमने 24 सितंबर को भुवनेश्वर में होने वाले बंद को वापस लेने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि सरकार अपने वादे के मुताबिक 60 दिनों के भीतर न्यायिक जांच पूरी कर लेगी.

उच्च न्यायालय ने सेना अधिकारी, मंगेतर का नाम प्रकाशित करने पर रोक लगायी

कटक स्थित उच्च न्यायालय ने भरतपुर पुलिस थाना में मारपीट मामले में सेना अधिकारी और उसकी मंगेतर का नाम इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट या सोशल मीडिया के माध्यम से प्रकाशित करने पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया है. यह निर्णय एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए लिया गया. उच्च न्यायालय ने पहले इस घटना का स्वतः संज्ञान लिया था. उच्च न्यायालय ने भरतपुर की घटना पर चिंता व्यक्त की है, लेकिन मामले में हस्तक्षेप नहीं करने का निर्णय लिया है. महाधिवक्ता ने न्यायालय को सूचित किया कि राज्य सरकार ने पहले ही घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिये हैं. इसके बाद न्यायाल. ने इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करने का निर्णय किया.

650 थानों में से 57 में सीसीटीवी कैमरे नहीं, उच्च न्यायालय ने जतायी नाराजगी

ओडिशा सरकार ने उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि भरतपुर मामले में पांच पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया है. अपराध शाखा भी मामले की जांच कर रही है. बताया गया कि उच्च न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि पुलिस थानों में सभी सुविधाएं उपलब्ध हों. अदालत को बताया गया कि राज्य के 650 पुलिस थानों में से 57 में सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं. यह जानने के बाद अदालत ने अपनी नाराजगी व्यक्त की. पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उड़ीसा उच्च न्यायालय ने एडीजी को राज्य भर के पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरों पर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. न्यायालय ने मामले की देखरेख के लिए एमिकस क्यूरी भी नियुक्त किया. बताया जा रहा है कि मामले की अगली सुनवाई नौ अक्तूबर को हो सकती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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