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सरकार से मदद मांगने बक्सर से पटना पहुंचेगा ‘फ्लोटिंग हाउस’, बाढ़ पीड़ितों के लिए बन सकता है तिनके का सहारा…

Floating House Bihar: बक्सर में पिछले साल गंगा नदी में एक अनूठा प्रयोग हुआ था. यहां एक लड़का ने गंगा नदी पर तैरने वाला घर बनाया था. इस काम को आरा के एक युवक प्रशांत कुमार ने पूरा किया था. इस घर को बनाने में उन्होनें कनाडा, जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य देशों के दोस्तों का उन्होंने सहयोग लिया. यह एक पाॅयलट प्रोजेक्ट था. जो अब सफल हो गया है.

Floating House Bihar: बिहार में बाढ़ से लागभग आधा राज्य जलमग्न हो चुका है. इस बढ़ती बाढ़ की चिंता के बीच एक खुशियां वाली खबर आ रही है. बक्सर में पिछले साल गंगा नदी में एक अनूठा प्रयोग हुआ था. यहां एक लड़का ने गंगा नदी पर तैरने वाला घर बनाया था. इस काम को आरा के एक युवक प्रशांत कुमार ने पूरा किया था. इस घर को बनाने में उन्होनें कनाडा, जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य देशों के दोस्तों का उन्होंने सहयोग लिया. यह एक पाॅयलट प्रोजेक्ट था. जो अब सफल हो गया है.

उन्होंने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा था कि अगर उनका प्रयोग सफल हुआ तो बाढ़ के दिनों में आवास की एक बड़ी चिंता से लोग मुक्त हो जाएंगे. वही हुआ अब प्रशांत का यह पायलेट प्रोजेक्ट सफल हो गया है. कनाडा, जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य देशों के दोस्त और स्थानीय वॉलेंटियर की सहायता से बना यह घर पानी के तल पर लोहे के एंगल से बंधा हुआ है. बाढ़ के दिनों में नदी की लहरों के साथ ये घर तैरता रहेगा.

बाढ़ पीड़ितों को नहीं करना पड़ेगा पलायन

पिछले साल गंगा नदी पर तैरता घर बना रहे इंजीनियर प्रशांत ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि बिहार का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में आ जाता है. जिससे लोगों को अपना घर छोड़कर पलायन करना पड़ता है. जब वह लौट कर वापस अपने घर आते हैं तो उनके पास रहने के लिए छत नहीं रहती. इस स्थिति को समझते हुए कुछ ऐसा तैयार करने का सोचा, जिससे बाढ़ पीड़ितों के घर की समस्या का समाधान हो.

इस फ्लोटिंग हाउस को बनाने में किस मैटेरियल का उपयोग किया गया है?

Floating House 2

इस घर को बनाने में जो भी मैटेरियल का उपयोग किया गया है, वो सभी चीज आसानी से नजदीक में ही उपलब्ध हो जाते हैं. इसमे जो भी चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है उससे पर्यावरण को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता है. सबसे दिलचस्प बात यह है कि बाढ़ आने पर यह घर गंगा के पानी के साथ ऊपर चला जाएगा और बाढ़ खत्म होते ही पुनः यह अपने स्थान पर आ जाएगा. इस घर में शयन कक्ष, रसोई घर, स्नानागार, शौचालय भी बनाया गया है. साथ ही ऐसी व्यवस्था की गई है कि जो गंदा पानी अथवा जो भी कचरा यहां से निकले, वह नदी में न जाए ताकि नदी को प्रदूषित होने से बचाया जा सके.

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इस घर को बनाने में कितने रुपए आई है लागत?

इस तैरते घर को बनाने में करीब लागत लगभग 6 लाख रुपए आई थी. प्रशांत ने बताया कि इस घर में ना तो डीजल और पेट्रोल जलाने की आवश्यकता होती है और ना ही कार्बन उत्सर्जन होता है. इस घर को बनाने में जिस ईंट का प्रयोग हुआ है उसे गोबर और मिट्टी तथा धान और उड़द की भूसी से बनाया गया है. इस ईंट का वजन महज ढाई-तीन सौ ग्राम है. ऐसे में बिना पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचाये जो घर की वेस्ट मैटेरियल है, उसी से इस घर का निर्माण किया गया है. पेंट और इंजन ऑयल आदि के खाली ड्राम, मिट्टी-गोबर जैसी सामग्री से इस घर का निर्माण किया गया है.

इस तैरने वाले घर (Floating House) को पटना क्यों ले जाना चाहते हैं प्रशांत?

प्रशांत का कहना है कि पटना बड़ा क्षेत्र है, बिहार की राजधानी है, वहां देश विदेश के लोग आते हैं. उनलोगों को इस घर को दिखाएंगे और इसके बारे में बताएंगे. सरकार से मांग भी की जाएगी कि इस प्रोजेक्ट में मदद करें. प्रशांत ने कहा कि हालांकि स्थानीय स्तर पर अधिकारियों का बहुत प्रोत्साहन मिला है, किंतु सरकार अपने स्तर से किसी प्रकार की सहायता अभी तक नहीं की है. जबकि इस तैरते हुए घर का उपयोग बाढ़ से निजात दिलाने और गर्मी से बचने दोनों में बहुत उपयोगी हो सकता है. पटना में ले जाकर वहां स्थानीय लोगों को बताना है कि देखिए कैसे तैरने वाला घर बनाया जा सकता है.

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