Vastu Tips: वास्तु शास्त्र की बात करें तो यह अपने प्राचीन विज्ञान के कारण अतीत, वर्तमान और भविष्य में भी हिंदुओं के जीवन का अहम हिस्सा रहा है. इसमें ऐसे दिशा-निर्देश हैं, जिनका पालन करके आप जीवन में सुख, समृद्धि और शांति ला सकते हैं. इन सिद्धांतों की अनदेखी करने से कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, खासकर वित्तीय और व्यक्तिगत पहलुओं में. आज हम इस लेख के माध्यम से आपको कुबेर की मूर्ति रखने की आदर्श दिशाओं और अनुचित स्थान के परिणामों के बारे में बताएंगे.
दक्षिण दिशा से बचें
दक्षिण दिशा मृत्यु के देवता यम और पूर्वजों से जुड़ी है. यहां कुबेर की मूर्ति रखने से आर्थिक नुकसान और अशुभ परिणाम हो सकते हैं. वास्तु के अनुसार इस दिशा को शुभ नहीं माना जाता है. इसलिए कोई भी कार्य करने के लिए ये दिशा उचिन नहीं मानी जाती है.
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पश्चिम दिशा से दूर रहें
पश्चिम दिशा पर शनिदेव का शासन है, जो यहां कुबेर की मूर्ति रखने से नाराज हो सकते हैं. इससे जीवन में कई तरह की चुनौतियां और बाधाएं आ सकती हैं. कोशिश करें इस दिशा में भगवान की मूर्ति स्थापित न करें.
उत्तर-पश्चिम दिशा की सिफारिश नहीं की जाती है
उत्तर-पश्चिम दिशा में कुबेर की मूर्ति रखने से अधिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं और व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों प्रयासों में प्रगति में बाधा आ सकती है. ऐसे में वास्तु शास्त्र कहता इस दिशा में कुबेर देवता की मूर्ति स्थापित करने के लिए ये दिशा शुभ नहीं है.
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सबसे अच्छी जगह: उत्तर दिशा
कुबेर की मूर्ति के लिए आदर्श स्थान घर की उत्तर दिशा है. यह स्थान परिवार में समृद्धि, शांति और खुशी लाता है और वित्तीय परेशानियों को दूर रखता है. ऐसे में इस दिशा में कुबेर भगवान की मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना करें.